राज्य

देहदान से बड़ा कोई दान नही – डॉ. मिश्र

मुंगेली
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ.दिनेश मिश्र ने मुंगेली फुंदवानी में जनजागरण अभियान में शामिल हुए। इस दौरान मिश्रा ने कहा कि चन्द्रिका आर्य एक ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े व्यक्ति थे पर उनमें शिक्षा के प्रति अत्यंत ललक थी वे गाँव के बच्चों को पढ़ाने में रुचि रखते थे ,सामाजिक जागरूकता के पक्षधर थे,उन्होंने देहदान के प्रति संकल्प लिया था और उनकी असामयिक मृत्यु के बाद उनके परिजनों ने उनके संकल्प को पूरा किया और उनकी देह बिलासपुर मेडिकल कॉलेज को दान की.और करीब 22 माह बाद बिलासपुर मेडिकल कॉलेज को देहदान से देह मिली। मृत्यु से जुड़े अंधविश्वासों को न मानते हुए उससे जुड़े मिथकों पर भरोसा न करते हुए विज्ञान के प्रति,मानवता के प्रति चन्द्रिका आर्य,की पत्नी ,उनके परिवार ने जो मिसाल पेश की है उसके लिए हम सभी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और ग्राम कांपा फुंदवानी के ग्रामीणों ने तो 10 दिनों के भीतर देहदानी चन्द्रिका आर्य का स्मारक ही बनाया। आज उसका लोकार्पण करवाया .और उनकी स्मृति में एक पत्रिका का विमोचन करवाया जिसके लिए कांपा फुंदवानी के सभी लोग सराहना के पात्र हैं .।

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को बचपन से ही अक्षर ज्ञान के साथ सामाजिक अंधविश्वासों व कुरीतियों के संबंध में सचेत किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है, व्यक्ति को अपनी असफलता का दोष ग्रह नक्षत्रों को देने की बजाय स्वयं की खामियों पर विश्लेषण करना चाहिए,. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जी .एस एस .प्रमुख लखन सुबोध जी मिश्रीलाल खांडे ,सरपंच गजरा बाई पात्रे,उप सरपंच श्रीमती नेताम, प्रियंका शुक्ला एम डी आर्य,सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.तथा मुंगेली व समीपवर्ती ग्रामीण अंचल में निरन्तर जनजागरण अभियान चलाने के सम्बंध में विचार विमर्श किया. तथा सामाजिक कार्यकतार्ओं को अंधविश्वास निर्मूलन से सम्बंधित किताबें ,पम्पलेट ,जानकारी प्रदान की गयी।

डॉ. मिश्र ने जनजागरण कार्यक्रम में कहा हमारे देश के विशाल स्वरूप में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएँ व आस्था भी भिन्न-भिन्न है लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएँ, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई है। जिनके कारण आम लोगों को न केवल शारीरिक व मानसिक प्रताड?ा से गुजरना पड़ता है बल्कि ठगी का शिकार होना पड़ता है। कुछ चालाक लोग आम लोगों के मन में बसे अंधविश्वासों, अशिक्षा व आस्था का दोहन कर ठगते हैं। उन अंधविश्वासों व कुरीतियों से लोगों को होने वाली परेशानियों व नुकसान के संबंध में समझा कर ऐसे कुरीतियों का परित्याग किया जा सकता है। विभिन्न सामाजिक व चिकित्सा के संबंध में व्याप्त अंधविश्वासों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा देश के विभिन्न प्रदेशों में अनेक प्रकार के अंधविश्वास प्रचलित हैं जो न केवल समाज की प्रगति में बाधक हैं बल्कि आम व्यक्ति के भ्रम को बढ़ाते हैं, उसके मन की शंका-कुशंका में वृद्धि करते हैं।

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