राज्य

जहां ढूंढा वहीं से निकले पैसे, मानों कुबेर का खजाना था पीयूष जैन का घर

कन्‍नौज

जीएसटी विजिलेंस के निशाने पर आए कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कन्नौज स्थित आवास पर जीएसटी विजिलेंस की टीम को यहां दबे राज को बाहर करने में छह दिन का समय लग गया। आठ दरवाजे वाले तिलिस्मी मकान की रहस्यमयी बनावट ने विजिलेंस के अफसरों को खूब छकाया। इस दौरान मकान के बेसमेंट, सीक्रेट चैंबर और तहखानों तक के राज उजागर हुए।

इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कन्नौज के छिपट्टी मोहल्ला में बने मकान में छापा मारने आई जीएसटी विजिलेंस की टीम ने भी यह गुमान नहीं किया हुआ होगा, यहां उसे इस तरह का खजाना हाथ लगेगा। न ही छह दिन में लगातार 108 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाने की उम्मीद रही होगी। लेकिन जैसे-जैसे सर्च ऑपरेशन का दायरा बढ़ना शुरू हुआ, वैसे-वैसे अंदर के राज बाहर आने शुरू होने लगे। न सिर्फ उसके पुश्तैनी मकान के अंदर का रहस्यमयी भुगोल की खबर ने सभी को चौंकाया। बल्कि बाहर से एक ही दिन वाले आठ दरवाजे वाले मकान को अंदर से जुड़ा न होने की बात भी सामने आई। यही वजह रही कि रिहाईशी इलाके से गोदाम और दफ्तर के हिस्से में जाने के लिए टीम को बार-बार बाहर की गलियां नापनी पड़ीं।

टीम के सदस्यों के साथ पीयूष जैन के दोनों बेटे प्रत्यूष जैन और प्रियांश जैन भी गली से होकर एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जाते और जरूरी जानकारी देकर वापस आ जाते। जांच का दायरा बढ़ते-बढ़ते राज सामने आने लगे और अंदर दबा खजाना भी हाथ आने लगा। खजाने की सूरत में 19 करोड़ रुपए नगद, ईंट और बिस्किट की शक्ल में 23 किलो सोना हाथ लगा। इसके अलावा कमरे के नीचे बेसमेंट में छिपाकर रखा गया 600 लीटर चंदन का कीमती तेल भी बरामद हुआ।

इत्र कारोबारी का मकान बना रहा अचरज
विजिलेंस टीम की जांच के दौरान ही यह बात सामने आई कि पीयूष जैन ने अपने पुश्तैनी मकान के पास ही स्थित दो और मकान खरीद रखे थे। इन मकानों को गोदाम के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। यहां की चाबियां नहीं मिलने पर दरवाजों पर लगे ताले को कटर से कटवाया गया। कारखाना में अलग-अलग गुच्छों में करीब 500 चाबियां मिलीं।

कन्नौज में यह खजाना हाथ लगा
-19 करोड़ की नगद रकम, सभी नोट 500 और 2000 रुपए के
-23 किलो सोना, इसमें एक-एक किलो की 22 ईंट, 100 ग्राम की 10 बिस्किट
-600 लीटर चंदन का तेल, बाजार में इनकी कीमत छह करोड़ रुपए
इस तरह बढ़ती गई जांच, बाहर आते रहे राज

-पहला दिन, 23 दिसंबर: जीएसटी की विजिलेंस टीम पहली बार गुरुवार को यहां आई। मकान में ताला लगा होने की वजह कर सभी दरवाजों को सील करके चली गई।

­-दूसरा दिन, 24 दिसंबर: अगले दिन शुक्रवार की दोपहर ढाई बजे जीएसटी विजिलेंस की टीम पीयूष जैन के बेटों को लेकर यहां पहुंची। शाम चार बजे से सर्च ऑपरेशन शुरू हुआ। ताला न खुलने पर उसे तुड़वाया गया।

-तीसरा दिन, 25 दिसंबर: मकान के अंदर बेसमेंट और सीक्रेट चैंबर की बात सामने आई। उसके ऊपर पड़े पत्थर को तोड़ने के लिए मजदूर बुलाए गए। अलमारियों-लॉकर से सोना, चैंबर से बोरों में भरे रुपए मिले।

-चौथा दिन, 26 दिसंबर: मकान से 400 मीटर दूरी पर स्थित कारखाना में टीम ने छापा मारा। यहां 500 चाबियां मिलीं। तालों को कारीगरों की मदद से तुड़वाया गया। कटर से काटा भी गया।

-पांचवां दिन, 27 दिसंबर: पड़ताल के दौरान बरामद हुई रकम को गिनने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की टीम नोट गिनने की तीन मशीन लेकर पहुंची। 13 घंटे तक नोट गिने गए।

-छठा दिन, 28 दिसंबर: बरामद हुई 19 करोड़ की नगद रकम की गिनती पूरी करने के बाद उसे सुरक्षा व्यवस्था के बीच बक्सों में भरकर बैंक भिजवाया गया। उसके बाद भी सर्च ऑपरेशन चलता रहा।

-सातवां दिन, 29 दिसंबर: सर्च ऑपरेशन पूरा करने के बाद दस्तावेजों और चंदन तेल के सैंपल लेकर विजिलेंस टीम बुधवार की अल सुबह वापस चली गई। मकान की चाबियां पीयूष जैन के बेटों के हवाले कर दी गईं।

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