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सहारनपुर की 7 सीटों पर किसे मिलेगा सहारा और किसे किनारा, जानें क्या है गंगोह से बेहट तक का समीकरण

सहारनपुर

मां शाकुम्भरी देवी और सूफी संत शाह हारुन चिश्ती के शहर सहारनपुर की राजनीतिक फिजा इस बार काफी अलग है। वोटर का मिजाज भांपना यूं तो कभी आसान नहीं रहा, लेकिन इस बार राय काफी बंटी नजर आ रही है। खासतौर पर किसान आंदोलन, सामाजिक समीकरण और विकास के मुद्दों की बात करें तो एक बड़ा वर्ग है, जो सरकार के पक्ष में नहीं दिखता। हालांकि शहरी क्षेत्र में काफी लोग ऐसे भी हैं, जो मानते हैं कि योगी सरकार के दौर में विकास कार्य हुए हैं। मायावती को दो बार विधानसभा भेजकर सीएम बनाने वाले इस जिले में 7 सीटें हैं और दलित, गुर्जर, मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। पिछले चुनाव में भाजपा ने इन 7 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी।

गंगोह में हैट्रिक लगा पाएगी भाजपा?

सहारनपुर की गंगोह सीट की बात करें तो यहां से भाजपा के कीरत सिंह विधायक हैं। वह 2019 में यहां से उपचुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इससे पहले प्रदीप चौधरी 2017 में चुने गए थे, वह भी भाजपा से ही थे। दरअसल प्रदीप चौधरी को पार्टी ने कैराना लोकसभा सीट से आम चुनाव में उतार दिया था, जिसमें जीत के बाद वह लोकसभा पहुंच गए और एक बार फिर विधानसभा में चुनाव हुआ था। भाजपा भले ही 2017 के बाद उपचुनाव में भी यहां अपनी ताकत दिखा चुकी है, लेकिन अब स्थितियां अलग हैं। किसान आंदोलन के बाद से स्थितियां बदली हैं। भाजपा के कीरत सिंह गुर्जर बिरादरी के नेता हैं, जिसकी अच्छी आबादी है। इसके अलावा सपा ने इंद्रसेन को उतारा है, लेकिन बसपा उम्मीदवार नोमान मसूद इन सभी का खेल बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। कांग्रेस ने अशोक सैनी को मौका दिया है।

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