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किसे मिलेगा यूपी चुनाव में डिजिटल प्रचार का फायदा

 नई दिल्ली
यूपी समेत पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा और 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक के बाद राजनीतिक दल वर्चुअल रैलियों में जोर आजमाइश कर रहे हैं लेकिन बीजेपी के अलावा अन्य सभी पार्टियां इसके लिए खुद को सहज नहीं पा रही हैं.ये चुनाव ऐसे माहौल में हो रहे हैं जब भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर की भयावहता दस्तक दे रही है और भारत में भी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. भारत में हर दिन एक लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं.

 ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि शायद चुनाव आयोग चुनाव की तिथियों को कुछ समय तक के लिए टाल दे लेकिन आयोग ने एहतियाती कदमों के साथ चुनाव कराने का फैसला लिया और राजनीतिक दलों पर भी कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं. इन पाबंदियों में चुनावी रैलियों को 15 जनवरी तक स्थगित करने जैसे कई बड़ी पाबंदियां लागू की गई हैं. चुनाव आयोग ने तब तक के लिए राजनीतिक दलों को सिर्फ वर्चुअल रैलियों की इजाजत दी है. समाजवादी पार्टी ने डिजिटल रैलियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बीजेपी के लोग सारे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कब्जा जमाए हुए हैं और अन्य पार्टियों के लिए इतने खर्चीले माध्यम से प्रचार करना संभव नहीं है.

 अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को डिजिटल प्रचार के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की भी मांग की है. बीजेपी पहले से तैयार बीजेपी का कहना है कि वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. अभी पिछले दिनों यूपी की यात्रा पर आए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि बीजेपी वर्चुअल रैली के लिए पूरी तरह से तैयार है. वैसे भी बीजेपी के लिए यह पहला अनुभव नहीं है बल्कि पश्चिम बंगाल चुनाव में वर्चुअल रैली के जरिए वो प्रचार कर चुकी है. कोविड संक्रमण के दौरान जब दूसरी राजनीतिक पार्टियां निष्क्रिय थीं, उस दौरान भी बीजेपी के कार्यकर्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रचार अभियान में लगे थे.

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