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क्रेसर ब्लास्टिंग में घायल महिला मजदूर को नही मिला मुआवजा

जैजैपुर
 क्रेसर ब्लास्टिंग से अपना पैर क्षतिग्रस्त करनेवाली वाली महिला को अब तक क्रशर खदान से मुआवजा राशि नही मिली। घटना को साल भर बीतने के बाद भी परिवार को मुआवजा राशि का इंतजार है।

अकलतरा के कल्याण पुर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम दरीर्टांड मे संचालित एस के माइनिंग क्रशर खदान मे पिछले वर्ष फरवरी के महाशिवरात्रि के दूसरे दिन जब सभी घरो मे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा हो रही थी उस दिन दरीर्टांड का गरीब केवट परिवार भी पूजा करने की तैयारी कर रहा था। घर की बुजुर्ग सोनकुंवर अपने घर के अंदर काम कर रही थी कि एक जोर का धमाका हुआ और एक चालीस किलो वजनी पत्थर घर किया छप्पर तोड़ते हुए उनके पैर पर गिरा। इतने वजनी पत्थर के गिरने से बुजुर्ग महिला का पैर की हड्डी दो टुकड़ों मे टूट गयी है और खून की धारा बहने लगी.। इस हादसे किया खबर जैसे ही लोगों को हुई लोगो ने एस के माइनिंग का घेराव कर नारे बाजी करनी शुरू कर दी। तब क्रशर खदान मन ब्लास्टिंग करनेवाले भाटी नामक व्यक्ति ने बुजुर्ग सोनकुंवर को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया जहा उनके पैर मे आपरेशन करके राड डाला गया।

यह बात जब लोगों को पता चली लोगो मे गुस्से की लहर दौड गयी और लोगो ने क्रशर खदान मालिक के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया और सडक जाम करके बैठ गये। इस सडक जाम से प्रशासन ने महिला को मुआवजा और क्रशर खदान मालिक ने नया घर बना देने का वादा किया। परिवार ने बताया कि हमे खदान मालिक ने एक कमरा बनाकर दिया है परंतु मुआवजा का वादा अब तक पूरा नहीं किया है। यह भी विदित हो कि दरीर्टांड का यह क्रशर खदान आबादी से बमुश्किल दो सौ मीटर की दूरी पर स्थापित है और क्रशर खदान मालिक मनीष बनाफर बिलासपुर मे रहते है। गरीब केवट परिवार अपने मिट्टी के बने घर मे तेरह सदस्यीय परिवार के साथ रोज धमाका सुनने और उसके पत्थर खाने के लिए मजबूर है। प्रशासन की लापरवाही के कारण महिला का पैर कमजोर हो गया और यह भी गनीमत है वह पत्थर अगर बुजुर्ग महिला के सर पर गिरता तो महिला का बचना मुश्किल था।

पचगवा हाई स्कूल और क्रशर खदान
यह भी विदित हो कि पचगवा का हाई स्कूल क्रशर खदान से तीन सौ मीटर की दूरी पर है और वहां लगभग पांच सौ बच्चे अध्यनरत है और ये बच्चे रोज धमाकों और खतरो के बीच अपनी पढाई कर रहे है। शासन के मानक अनुसार कोई भी क्रशर खदान के पांच सौ मीटर के दायरे से स्कूल , मंदिर और आबादी न हो परंतु खनिज विभाग के अधिकारियों को खनिज संपदा से मिलने वाली राशि ने उनकी आंखों मे लालच का परदा डाल दिया है जिससे उन्हें न तो आबादी दिखायी दे रही है और न ही स्कूल में पढने वाले बच्चों का भविष्य दिखाई दे रहा है।अब देखना है कि इस भयानक हादसे की बरसी तक क्रशर खदान अपने मुआवजे का वादा पूरा करता है कि हमेशा की तरह यह हादसा और मुआवजे का वादा सिर्फ हादसा बन कर रह जायेगा।

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