विदेश

टीटीपी की नई धमकी से पाकिस्तान में घबराहट, सुरक्षा की चिंता बढ़ी..

इस्लामाबाद | आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पाकिस्तान (Pakistan) सरकार के खिलाफ ‘युद्ध का एलान’ कर देने से पाकिस्तान में पहले से मौजूद सुरक्षा संबंधी चिंताएं बेहद गहरा गई हैं। इस बार खास बात यह है कि टीटीपी ने सीधे पाकिस्तान के सत्ताधारी नेताओं को निशाना बनाने की घोषणा की है। उसने सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों से कहा है कि वे अपने नेताओं के खिलाफ ‘ठोस कार्रवाई’ करें, वरना उसके हमलों के लिए तैयार रहें।पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह पहला मौका है, जब किसी आतंकवादी संगठन ने इस तरह सरकार के सर्वोच्च नेतृत्व को निशाने पर लिया है।

उसने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी का नाम लिया है। शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष हैं, जबकि भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष हैं। ये दोनों पार्टियां मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीएम) में शामिल सबसे बड़े दल हैं।टीटीपी ने चेतावनी का अपना संदेश व्हाट्सएप के जरिए मीडिया को भेजा। संदेश टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खोरासानी की तरफ से भेजा गया।

इसमें कहा गया कि है टीटीपी ने लंबे समय से राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। लेकिन अब उसका समय आ गया है। व्हाट्सएप संदेश में कहा गया- ‘अगर ये दोनों पार्टियां अपने मौजूदा रुख पर कायम रहती हैं, तो उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लोगों को चाहिए कि वे उन नेताओं के करीब जाने से बचें।’ टीटीपी ने यह भी कहा है कि उसका निशाना पाकिस्तान के सुरक्षा बल हैं, जो पश्चिमी देशों की मर्जी के मुताबिक अपनी देश की जनता के हित के खिलाफ काम कर रहे हैं।

टीटीपी ने यह धमकी पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक के दो दिन के बाद जारी की है। एनएससी पाकिस्तान में सुरक्षा संबंधी मामलों की सर्वोच्च समिति है। बीते हफ्ते इसकी बैठक टीटीपी के बढ़ रहे खतरों का मुकाबला करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक के बाद एनएससी के बयान में कहा गया कि समिति ने आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाने का फैसला किया है। यह निर्णय भी लिया गया कि हिंसा का सहारा लेने वाले सभी गुटों के खिलाफ कदम उठाए जाएंगे।

एनएससी की बैठक में प्रधानमंत्री शरीफ और सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर भी शामिल हुए थे।समझा जाता है कि टीटीपी ने एनएससी के सख्त बयान का अब जवाब दिया है। लेकिन उसकी धमकी को यहां हल्के से नहीं लिया जा रहा है। हाल के महीनों में टीटीपी ने अपने हमले तेज कर रखे हैं, जिसमें कई सैनिक भी मारे गए हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों की राय है कि टीटीपी के पास देश के बड़े नेताओं पर हमला करने की क्षमता है।इन विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि टीटीपी ने यह धमकी विदेश मंत्री भुट्टो जरदारी के एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत बयान देने के एक दिन बाद दी है।

भुट्टो जरदारी मंगलवार को कहा था कि पीडीएम सरकार आतंकवादियों के ‘तुष्टिकरण’ की नीति को बदल रही है। पूर्व इमरान खान सरकार ने टीटीपी के साथ बातचीत की नीति अपनाई थी। भुट्टो जरदारी ने उसे आतंकवादियों के तुष्टिकरण की नीति करार दिया। भुट्टो जरदारी ने अफगान तालिबान और टीटीपी के बीच फर्क करते हुए कहा था कि अफगान तालिबान एक हकीकत है, जिसका एक इतिहास रहा है, जबकि टीटीपी आतंकवादी संगठन के अलावा और कुछ नहीं है।

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