सुमित शर्मा, सीहोर।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीहोर पहुंचकर इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया। उन्होंने सिद्धपुर की धरती सीहोर पहुंचकर भगवान चिंतामन श्रीगणेश के दरबार में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना के साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत के लिए अर्जी लगाई। कमलनाथ तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन सीहोर में कांग्रेस की हालत बैसाखी के सहारे मैराथन जीतने जैसी है। सच तो यह है कि बैसाखी के सहारे मैराथन तो दूर की बात गली की रैस भी नहीं जीती जा सकती है। जिला कांग्रेस कमेटी बैसाखी के भरोसे पर है और इसी भरोसे पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष बलवीर सिंह तोमर ने पीसीसी चीफ को जीत का भरोसा भी दिलाया है। जिलाध्यक्ष तोमर पीसीसी चीफ के सामने यह साबित करने में तो सफल हो गए हैं कि आज भी सीहोर जिले में कांग्रेस का वजूद है, क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने नेता कमलनाथ के कार्यक्रम में पहुंचकर संख्या बल में अच्छी खासी वृद्धि कर दी, लेकिन यह संख्या बल भी स्थानीय नेताओं के भरोसे पर सीहोर पहुंचा। सीहोर विधानसभा में पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ नेता रमेश सक्सेना एवं उनके पुत्र युवा नेता जिला पंचायत सदस्य शशांक सक्सेना तो वहीं बुदनी विधानसभा से युवा नेता अर्जुन शर्मा निक्की की अगुवानी में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, नेता सीहोर पहुंचे तो वहीं आष्टा विधानसभा से सज्जन सिंह वर्मा की उपस्थिति ने कांग्रेसियों को सीहोर पहुंचने पर विवश कर दिया। इछावर विधानसभा से भी संख्या बल में बेहद कमी दिखी। कांग्रेसियों की संख्या देखकर जरूर कमलनाथ भी खुश हुए होंगे, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। दरअसल सीहोर जिले में कांग्रेस का सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं भाजपा संगठन से है, जबकि संगठन के मामले में कांग्रेस अभी फिसड्डी है। चुनावी साल में जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह तोमर कांग्रेस की गुटबाजी को नहीं संभाल पा रहे हैं। वे अब तक जिले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्तियां ही नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा अब तक सीहोर को छोड़कर अन्य ब्लॉकों में मंडलम एवं सेक्टर प्रभारियों की भी नियुक्तियां नहीं हुई हैं। ऐसे में कांग्रेस भाजपा से मुकाबला करने में कहां टिक पाएगी। चुनावी साल में भी जिला कांग्रेस कमेटी सुस्त है तो वहीं जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह तोमर का विरोध भी सार्वजनिक रूप से देखने को मिल रहा है। विरोध स्वरूप कांग्रेस कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष का पुतला तक फूंक चुके हैं तो वहीं उन्हें भाजपा का एजेंट भी बता चुके हैं। विरोध के बावजूद भी कमलनाथ ने अब तक बलवीर सिंह तोमर पर भी विश्वास कायम रखा है, जबकि अब समय है कि सीहोर कांग्रेस की कमान किसी युवा कांग्रेस नेता के हाथों में सौंपी जाए, जो कांग्रेस को आक्सीजन देकर चलने-फिरने लायक बना सके। अब सीहोर में कांग्रेस को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो कांग्रेस संगठन को एक्टिव रखने के साथ ही कांग्रेस में लगातार सामने आ रही गुटबाजी को खत्म करके पार्टी नेताओं को एकरूप कर सके।