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Sehore News : सीहोर में गौवंश की बेकद्री: हाईवे और गलियां बनीं मवेशियों का आशियाना!

Sehore News : सीहोर। प्रदेश सरकार द्वारा गौवंश के लिए आश्रय स्थल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना जिले में कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है। पिछले एक साल से अधिक समय से चल रही कवायद के बावजूद, जिले में 5000 से अधिक मवेशी आज भी सडक़ों पर भटकने को मजबूर हैं। खासकर रेहटी और भैरूंदा जैसे क्षेत्रों में स्थिति बेहद गंभीर है, जहां सडक़ों पर गौवंश के झुंड दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।
भैरूंदा तहसील में गौआश्रय के लिए 125 एकड़ की सरकारी जमीन चिन्हित की गई है, लेकिन विडंबना यह है कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने अब तक इस स्थल का निरीक्षण तक नहीं किया है। जबकि इछावर, आष्टा, सीहोर और बुदनी जैसे अन्य विकासखंडों में जमीन की तलाश अभी भी जारी है।
मौजूदा गोशालाएं नाकाफी
जिले में 55 सरकारी और 20 निजी गोशालाएं हैं, लेकिन इनकी क्षमता सिर्फ 100 मवेशियों को रखने की है, जो हजारों बेसहारा गौवंश के लिए पर्याप्त नहीं है। इस कमी के कारण गौवंश को सडक़ों पर छोड़ दिया जाता है।
प्रशासनिक उदासीनता और दुर्घटनाएं
अधिकारियों की सुस्त रफ्तार और उदासीनता के कारण पिछले साल इछावर में एक डंपर ने छह गायों को कुचल दिया था। ऐसे हादसे जिले भर में आम हो गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की गौवंश संरक्षण की पहल के बावजूद, स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से यह योजना जमीन पर उतर नहीं पा रही है। जब तक ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक गौमाता को सडक़ों पर ही अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

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