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Bakari Palan: बकरी पालन कैसे करें, यहां जानें

Bakari Palan: बकरी पालन कैसे करें, यहां जानें

बकरी पालन (bakari palan) किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली व्यवसाय है। इसे छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक किसान आसानी से कर सकते हैं। जो किसान गाय-भैंस पालन करने में असमर्थ हैं वे छोटे स्तर पर बकरी पालन (Goat farming) की शुरूआत कर सकते हैं। बकरी को ‘गरीबों की गाय कहा’ जाता है, भारत में अब अधिकांश युवा किसान परम्परागत बकरी पालन को छोड़कर आधुनिक बकरी पालन कर रहे हैं।

आधुनिक बकरी पालन क्या है? (बकरी पालन का तरीका)
पहले किसान खेती के साथ मात्र 5-10 बकरियों को पालते थे, जिससे ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता था। परन्तु अब किसान इसे व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं। इसके लिए अलग से मुर्गी पालन की तरह ही शेड का निर्माण कर ज्यादा बकरियां एक साथ रखते हैं। अब बकरी पालन का तरीका (bakri palan ka tarika) भी आधुनिक हो गया है। इसे ही व्यवसायिक बकरी पालन (commercial goat farming) कहते हैं।

आसान भाषा में कहें तो थोड़ी ट्रेनिंग और कुछ ज्यादा पूंजी लगाकर उन्नत तरीके से बकरी पालन करना ही ‘आधुनिक बकरी पालन’ (aadhunik bakri palan) कहलाता है।

व्यवसायिक बकरी पालन (commercial goat farming) के लिए सरकार भी किसानों की मदद कर रही है। इसके लिए आप बकरी पालन योजना के लिए अप्लाई कर सकते हैं। व्यवसायिक बकरी पालन (commercial goat farming) के लिए सरकार पशुपालकों को ट्रेनिंग और सब्सिडी देती है।

आपको बता दें, 2030 तक बकरी पालन को और अधिक सफल बनाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत नए पशुपालकों को धन मुहैया करा रही है। बकरी पालन के लिए लोन (bakri palan loan yojana) कैसे मिलेगा इस जानकारी के लिए आप अपने जिले के पशुधन अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

बकरी पालन में कमाई (goat farming income)
मुर्गी पालन के बाद बकरी पालन (bakari palan) किसानों का पसंदीदा व्यवसाय बनता जा रहा है। कम लागत और ज्यादा मुनाफा के कारण बकरी पालन पिछले कुछ सालों में वृद्धि देखी जा सकती है। चूंकि मुर्गी पालन में ज्यादा देखभाल और दवाओं की जरूरत होती है। मुर्गी पालन में बर्ड फ्लू जैसी कई बीमारियों का भी खतरा ज्यादा रहता है। यदि बकरी पालन (bakari palan) अच्छी तरह से किया जाए तो बकरियों में रोग लगने की संभावना कम रहती है।

बकरी का मांस और दूध बेचकर आप अच्छा मुनाफा पा सकते हैं। यदि आप इसकी शुरूआत 10-20 बकरियों से करें तो 2 साल के अंदर आपके पास 200 से भी ज्यादा बकरियों की संख्या हो सकती है, जिससे आप लाखों की कमाई कर सकते हैं।

बकरी पालन क्यों चुनें? (Why choose goat farming?)
बकरी पालन (bakari palan) को शुरू करने के लिए अधिक धन और श्रम की आवश्यकता नहीं होती है। इस बिजनेस को एक या दो लोगों से आसानी से किया जा सकता है।
बकरी पालन उन बेरोजगार युवाओं, छोटे किसानों और पशुपालकों के लिए एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है, जिनके पास खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए बहुत पैसा नहीं है।
बकरी पालन को यदि प्रशिक्षण प्राप्त कर इस बिजनेस को शुरूआत की जाए तो और अधिक लाभ होता है। जिससे आपको बकरी पालन (bakari palan) की सभी आधुनिक प्रशिक्षण प्राप्त हो जाता है। जिसके लिए सरकार समय-समय पर बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण भी देती है।

बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण केंद्र (Goat rearing training center)
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा

आपको बता दें, भारत में बकरियों पर अनुसंधान के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा में केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई है। जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है।

यह कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संस्था है। यह संस्था किसानों, बेरोजगार युवाओं और छोटे उद्यमियों के लाभ के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बकरी पालन प्रशिक्षण आयोजित करता है।

अधिक जानकारी के लिए आप इस संस्थान के फोन नंबर 0565- 2763320 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा आप संस्थान की वेबसाइट www.cirg.res.in पर विजिट कर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

संस्थान का पूरा पता- केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, पोस्ट- फरह-281122, जिला- मथुरा (उ.प्र.)

बकरी पालन के लाभ

बकरी पालन से लाभ (benefits of goat farming)
बकरी पालन अन्य पशुपालन से कम समय में ज्यादा लाभ है, जो निम्नलिखित है।
भैंस-गाय या अन्य पशुपालन की तुलना में बकरी पालन के लिए कम जगह की जरूरत होती है।
यदि आपके पास कम जगह है फिर भी आप बहुत कम जगह पर अधिक बकरियों का प्रबंधन कर सकते हैं।
बकरी पालन में अन्य जानवरों की तुलना में बहुत कम भोजन की जरूरत होती है।
इसके लिए आपको कम खर्च की जरूरत होती है।
बकरी पालन सभी मौसम और किसी भी की जा सकती है।
बकरी 2 साल में 3 बार मां बन सकती है। अतः आप कम समय में बकरियों की संख्या बढ़ा सकते हैं।
आजकल मुर्गियों में लगने वाली बीमारियों की वजह से बकरे की मांस की ज्यादा डिमांड है।
बकरी का मांस, दूध और अन्य उत्पाद मानव आहार के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
बकरी के मांस में प्रोटीन ज्यादा होता है, साथ में लौह(आयरन) भी अधिक होता है।
बकरी का दूध डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी को दूर करने के लिए काफी कारगर साबित होता है।
बकरी का दूध पचाना आसान होता है और बच्चों और वयस्कों के लिए यह दूध अच्छा होता है।

बकरी पालन कैसे करें (bakri palan ka tarika)
सबसे बड़ा प्रश्न किसानों का रहता है कि बकरी पालन कैसे करें? बकरी पालन का तरीका क्या है?

सबसे पहले बकरी पालन (bakari palan) की मूल बातें जान लें, जिससे बकरी पालन में ज्यादा मुनाफा हो सके। इससे बड़े स्तर पर बकरी पालन की योजना को शुरू करने में आपकी मदद मिलेगी। बकरी पालन(bakari palan) में शुरू से एक रणनीति से काम करें। इससे आपको इस बिजनेस में नुकसान कम होगा।

नस्ल का चयन
सबसे पहले पशुपालक को यह तय करना जरूरी है कि किस प्रकार की प्रजाति की बकरियों का चयन करना है। नस्ल के चयन में पशुपालक पहले देसी बकरियों का चयन करना चाहिए। कुछ प्रशिक्षण के बाद वे अपनी बजट, और जलवायु के अनुसार अच्छी नस्ल का चुनाव कर सकते हैं।

शेड का निर्माण
बकरी पालन के लिए भूमि और शेड का चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है, चूंकि बकरियों को ऊंचे और साफ जगह पसंद होती है। इसके लिए आपको ऊंची भूमि और शेड का चुनाव करना होगा। बकरी पालन के लिए अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है। आपको शेड का निर्माण वैज्ञानिक रूप से डिजाईन करना होगा।

बकरियों की भोजन और देखभाल
इन सबके अलावा, आपको भोजन की विशेष देखभाल करनी होगी। एक स्वस्थ्य भोजन आपकी बकरी को स्वस्थ बनाता है। बाजार से खरीदा गया भोजन आपके लिए महंगा हो सकता है। अतः आप घर पर ही स्वयं बकरियों के लिए चारे का उत्पादन कर सकते हैं।

बकरियों की मार्केटिंग और बाजार
आजकल बाजार में बकरे के मांस की बहुत डिमांड है। इस व्यवसाय के लिए मार्केटिंग की कोई ज्यादा आवश्यतकता नहीं होती है। एक बार ग्राहक को आपके फॉर्म हाउस के बारे में पता चलने पर खुद इन बकरियों को खरीदने के लिए आपके पास आएंगे।
इसके अलावा आप अन्य बकरी पालकों को बकरी के बच्चों को उनकेके लिए भी बेच सकते हैं। जिससे आपको ज्यादा मुनाफा भी होगा।

बरबरी बकरी एक परिचय

बरबरी बकरी छोटे एवं गठीला आकार की होती है। इस नस्ल की बकरी का पालन भारत के बहुत बड़े क्षेत्र में किया जाता है। जिसमें भारत के कुछ राज्य जैसे पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार तथा पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत में भी इस नस्ल की बकरी पाई जाती है। बरबरी नस्ल का नाम बारबेरा शहर के नाम पर पड़ा है जो कि हिंद महासागर के तटीय क्षेत्र सोमालिया में स्थित हैं। बरबरी बकरी को उसके अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे बारी,साईं बारी,थोरी बारी,टिटरी बारी, बाड़ी बारी।

भारत में बरबरी बकरी पालन

भारत में बरबरी बकरी का पालन मुख्यता पंजाब,हरियाणा,उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में जैसे मथुरा,आगरा प्रमुख हैं। बरबरी बकरी मध्यम आकार तथा छोटे कद की होती है लेकिन इसका शरीर गठीला होता है। इसके शरीर में छोटे-छोटे बाल तथा इसका रंग सफेद के साथ भूरा तथा भूरे रंग के साथ सफेद रंग के छोटे-छोटे धब्बे होते हैं। बरबरी नस्ल की बकरी और बकरे दोनों को सींग होते हैं और किसी किसी बकरे में दाढ़ी भी होती है। इसके सिंघ पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं तथा उनकी लंबाई 8 से 10 इंच की हो सकती है। इसके कान छोटे एवं सीधे होते हैं जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं और इन्हीं की वजह से देखने में हिरण जैसे लगती है।

बरबरी बकरी का पालन मांस और दूध उत्पादन के लिए किया जाता है। यह कम उम्र में ही परिपक्व हो जाती है कहा जाए तो 9 से 10 माह में ही तैयार हो जाती है वहीं अगर तुलना करें तो सिरोही जिसे 16 से 18 माह तथा जमुनापारी बकरी को 22 से 23 महीने में परिपक्व होती हैं। इसी खासियत की वजह से यह छोटे किसानों तथा जिनकी पूंजी कम होती है और बकरी पालन करना चाहते हैं उनकी पहली पसंद बनी हुई है। बरबरी नस्ल की बकरियों को आसानी से किसी भी मौसम में ढाला जा सकता है।

बरबरी बकरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी नस्ल की बकरियों से बहुत अच्छी होती है। इसलिए इसे आप उत्तर प्रदेश,हरियाणा,पंजाब के शरद इलाकों से लेकर राजस्थान के गर्म इलाकों में भी आसानी से पाल सकते हैं। बरबरी नस्ल के व्यस्क बकरे की लंबाई लगभग 71 सेंटीमीटर तथा वयस्क बकरी की लंबाई 56 सेंटीमीटर तक की हो सकती है।वयस्क बकरे का वजन 35 से 38 किलो तथा वयस्क बकरी का वजन 23 से 25 किलोग्राम का होता है। बरबरी बकरी 1 दिन में एक से 1.5लीटर दूध दे सकती है। और अगर इसका खान-पान सही से रखा जाए तो 1.5 से 2 लीटर तक दे सकती है। और अगर आप इसे दूध उत्पादन के लिए पालना चाहते हैं तो इस नस्ल की बकरियां 140 दिनों तक दूध देती हैं।

क्या बरबरी बकरी को स्टॉल फीड सिस्टम पर ढाला/पाला जा सकता है?

जी हां बरबरी बकरी को बड़ी आसानी से स्टॉल फीड  सिस्टम पर पाला जा सकता है। जैसा कि हमने अभी इसके गुणों के बारे में बताया कि बरबरी नस्ल की बकरी आकार ऊंचाई में दूसरी बकरियों की तुलना में छोटी एवं कम ऊंचाई वाली होती है। यही बात इसकी इसे खास बनाती है कि दूसरी नस्ल की बकरियों की तुलना में विशेष खाने-पीने की आवश्यकता नहीं होती है।

हम इसे आसानी से सूखी घास (भूसे)पर भी पाल सकते हैं। सूखी घास में इसे हम गेहूं का भूसा,चना,मसूर,राहर ग्वार का भूसा खिला सकते हैं। स्टॉल फीड सिस्टम बकरी पालन की ऐसी पद्धति है जिसमें बकरियों के खाने और पीने की व्यवस्था एक ही स्थान पर एक व्यवस्थित फार्म(बाड़ा ) बना कर की जाती है। जहां पर बकरियों को समय-समय पर खाने की एक निश्चित मात्रा उनकी उम्र के हिसाब से दी जाती है।

इस पद्धति में बकरियों का शारीरिक विकास बहुत जल्दी होता है क्योंकि बकरियां एक ही स्थान में रहती हैं और जो ऊर्जा उन्हें चरने जाने और आने में लगने वाली होती है वह खर्च नहीं होती जिससे बकरियों को शारीरिक विकास बहुत शीघ्र होता है। बाहर ना जाने की वजह से बकरियां सुरक्षित रहती हैं। तथा संक्रमित रूप से फैलने वाली बीमारियों से बची रहती हैं। बाहर ना जाने की वजह से बकरियां संक्रमित पशुओं के संपर्क में नहीं आती है जिससे संक्रमण होने का खतरा कम होता है इसीलिए स्टॉल फीडिंग पद्धति को बकरी पालन की  सबसे सफल पद्धति माना जाता है।

सिरोही बकरी पहचान,कीमत,वजन की पूरी जानकारी।Sirohi goat farming guide in hindi

बकरियों को स्टॉल फीट पर पालने का तरीका

इससे संबंधित पूछे जाने वाले सवाल:-

· क्या हम जिन बकरियों को बाहर चराने के लिए ले जाते हैं उन्हें स्टॉल फीडिंग सिस्टम पर ढाल सकते हैं?

· क्या देसी बकरियों को स्टॉल फ़ीड सिस्टम पर पाला जा सकता है?

· Stall feed system स्टॉल फ़ीड सिस्टम का क्या मतलब होता है?

· बकरियों को स्टॉल फीडिंग सिस्टम में कैसे पाले?

· स्टॉल फीडिंग सिस्टम के लिए क्या-क्या चीजें जरूरी होती हैं।

सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि अगर आपके मन में भी ये सवाल उठ रहे हैं तो बिल्कुल आपके सवालों के जवाब इस पोस्ट में मिल जाएंगे।

कोई भी बकरी किसी भी नस्ल की हो जैसे सिरोही,बरबरी,जमुनापारी,बीटल या फिर देसी नस्ल की बकरियां आप इन्हें आसानी से स्टॉल फीडिंग सिस्टम पर डाल सकते हैं। उसके निम्नलिखित तरीके हैं:-

* पहला कि आप उनके रहने के लिए एक व्यवस्थित स्थान पर एक व्यवस्थित जगह का निर्माण करिए घर पर या एक बाड़ा (फार्म) बनाकर जहां आप उनके रहने खाने पीने की व्यवस्था करा सकें।

‌* दूसरी बात कि जैसे अगर आपकी बकरियां पूर्णता बाहर चराई पर निर्भर हैं और आप उन्हें स्टॉल फीडिंग सिस्टम पर ढालना चाहते हैं तो उनके चराई का समय धीरे-धीरे कम करिए और उन बकरियों को घर पर ही भरपूर मात्रा में खाने और पीने की व्यवस्था करिए।

ऐसा 1 दिन में या एकदम से नहीं होगा इसमें आपको कम से कम 1 से 2 माह तक का समय लग सकता है। जैसे जैसे आप उन्हें घर पर ही भरपूर मात्रा में खिलाना शुरू करेंगे धीरे धीरे उनकी बाहर चरने की आदत छूट जायेगी।

तथा आपको इस बात का ध्यान रखना है कि बकरियों के स्वास्थ्य एवं शारीरिक विकास में ज्यादा अंतर ना पड़े इसके लिए आप इन्हें खाने के दाना(suppliment) जरूर दें।

साथ ही साथ आप को इस बात का भी ख्याल रखना है बकरियां बीमार ना हो क्योंकि ऐसा करने में बकरियां कभी-कभी खाना कम कर देती हैं सुस्त ,शांत खड़ी रहती हैं तो आपको समय-समय पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करना जरूरी हो जाता है।

*तीसरी बात जब कभी आप बकरियां किसी दूसरे किसान के यहां से लेकर अपने फार्म पर लाते हैं तो उस समय उन बकरियों को  एकदम से स्टॉल फीडिंग में डालना बड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए सबसे पहले आपको इस बात का पता करना है कि उन बकरियों का उस किसान के यहां इस पद्धति से पालन किया जा रहा था। उसके बाद ही हम उन बकरियों को अपने यहां पर स्टॉल फीडिंग सिस्टम में ढाल सकते हैं।

अगर उसके यहां भी बकरियों का पालन विचरण पद्धति या चराकर किया जा रहा था तो आपको भी अपने यहां पर पहले उनको कम से कम 1 दिन में 4 से 5 घंटों के लिए चरने के लिए छोड़ना चाहिए ऐसा आपको कम से कम 20 से 25 दिनों तक के लिए करना है। धीरे धीरे उनके चराई का समय कम करते जायेंगे और घर पर ही भरपूर मात्रा में खाने के लिए देंगे तभी उसके बाद ही आप बकरियों को स्टॉल फीड़िंग सिस्टम में आसानी से डाल सकते हैं।

बरबरी बकरी फार्म

बरबरी नस्ल की बकरियों का पालन मांस तथा दूध उत्पादन दोनों के लिए किया जाता है। यदि आप बरबरी नस्ल के साथ अपना बकरी फार्म शुरू करना चाहते हैं तो बकरियों का चयन आपको उनकी उम्र के हिसाब से करना चाहिए जिससे वह जल्द से जल्द आपके यहां पर बच्चों को जन्म दे सकें और उनको आपके यहां के वातावरण में ढलने में ज्यादा परेशानी ना हो। आगे बढ़ने से पहले मैं सभी किसान दोस्तों को यह बताना चाहूंगा कि अगर आप बकरी पालन में बिल्कुल नए हैं अभी तक आपने किसी भी प्रकार की बकरियों का पालन नहीं किया है तो आप अपना फॉर्म बड़ी बकरियों के साथ ही शुरू करें जैसे अदंत बकरी, गाभिन बकरी या बच्चा दी हुई बकरियों के साथ इससे होगा यह की जब कभी भी उन बकरियों को आप किसी भी जगह से अपने यहां पर लेकर आएंगे तो वह बकरियां आसानी से आपके वातावरण में ढल जाएँगी  और शुरुआत के समय में आने वाली जो परेशानी है वह कम से कम होगी और आप बकरियों को आसानी से संभाल सकेंगे ।

बहुत सारे किसान दोस्त अपना बकरी फार्म  बच्चे से शुरू करना चाहते हैं क्योंकि छोटे बच्चों की जो कीमत है वह बड़ी बकरियों की तुलना में बहुत कम होती है इसलिए वह ज्यादा पैसा खर्च ना करके कम पैसे पर ही फार्म  शुरू करने के बारे में अक्सर सोचते हैं और फिर छोटे बच्चों से अपना बकरी फार्र्म  शुरू करते हैं छोटे बच्चों को संभालना बड़ी बकरियों की तुलना में बहुत कठिन होता है और कभी कभी बच्चो की म्रृत्यु हो जाती है और इसी वजह से अक्सर किसान भाई हताश होकर बकरी पालन छोड़ देते हैं।

इसलिए आप सभी किसान दोस्तों के लिए यह मेरी सलाह है कि जब कभी भी अपना बकरी फार्म शुरू करें तो बड़े जानवरों के साथ ही शुरू करें। और अधिक जानकारी के लिए आप अपने पास के बरबरी फार्म पर विजिट कर सकते हैं इससे आपको यह जानने मिलेगा की बकरियों को कैसे रखा जाता है उनका खाने का समय क्या होता है क्या-क्या चीजें खाने के रूप में दी जा सकती हैं और आपको अपने फ़ार्म पर किन-किन चीजों की व्यवस्था करनी है।

बरबरी बकरी का वजन

बरबरी बकरी एक छोटे कद वाली बकरी होती है जो अपने ज्यादा बच्चे देने की क्षमता के लिए जानी जाती है। परंतु अगर हम उन पर बच्चों के वजन के बारे में बात करें तो में  दूसरी बकरियों की तुलना में कम होता है।

और यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि बकरी ने एक समय में कितने बच्चों को जन्म दिया है यदि बकरी ने एक ही बच्चा दिया है तो उसका वजन एक ही साथ जन्म में दो बच्चों की तुलना में अधिक होगा। एक व्यस्त बकरे का वजन 35 से 38 kg के बीच का हो सकता है तथा एक वयस्क बकरी का वजन 23 से 25 kg का हो सकता है।

बरबरी नस्ल के बकरों की बात करें तो अगर आप इनको  बधिया करण(खस्सी ) करके कुर्बानी या ईद के लिए तैयार करते हैं तो उनके वजन में काफी अंतर आ जाता है। अगर आप इन बकररो का सामान खान पियन भी रखते हैं तो यह 1 साल में 40 से 45 kg  का वजन आसानी से बना लेते हैं। बरबरी नस्ल की बकरियों को अगर किसी दूसरी नस्ल के बकरों के साथ क्रॉस ब्रीडिंग(cross breeding )कराई जाए तो उनके वजन में काफी अच्छा परिवर्तन देखने मिलता है। उदाहरण के तौर पर सिरोही नस्ल का बकरा या जमुनापारी नस्ल का बकरा बरबरी नस्ल क्रॉस ब्रीडिंग  करने के लिए सही माने जाते हैं।

बरबरी बकरी कि बच्चा देने की क्षमता

बरबरी नस्ल की बकरी कम समय में ही परिपक्व हो जाती है। ब्लैक बंगाल नस्ल के बाद बरबरी नस्ल दूसरे स्थान पर है जो बहुत कम समय में ही परिपक्व हो जाती है (9 से 10 माह) तथा सबसे ज्यादा बच्चे देती है।

सबसे पहले मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि बरबरी नस्ल की बकरियां 9 से 10 माह की उम्र में ही( परिपक्व) बच्चा देने के लिए तैयार हो जाती हैं। और आप इससे 15 माह की उम्र में पहली बार बच्चा प्राप्त कर सकते हैं। बरबरी बकरी 7 माह के अंतराल में बच्चा पैदा कर सकती हैं और अगर हम 2 साल के अंतराल में देखें तो यह तीन बार बच्चे दे सकती है।

बरबरी बकरी परिपक्व होने के बाद 21 दिनों में मद चक्र(estrus cycle ) रिपीटिंग हीट साइकिल(Reapeating heat cycle )में  पुनः आ जाती है। और यह मद चक्र 24 से 36 घंटे तक के लिए रहता है। इसी मद चक्र में बकरियों को क्रॉस कराया जाता है।

बरबरी बकरी का गर्भकाल 145 से 150 दिनों तक का हो सकता है

यह 8% एक बच्चा, 75% 2 बच्चे,तथा 15% 3 बच्चे ,तथा 2% चार बच्चे देती है।

जन्म के समय उसके बच्चों का वजन 2 से 2.5 kg  के बीच का होता है।

बरबरी बकरी की दूध देने की क्षमता

बरबरी बकरी दोनों मांस उत्पादन तथा दुग्ध उत्पादन के लिए पाली जाती है। अगर हम दूध देने की क्षमता के ऊपर बात करें तो 1.5 से लेकर 2 लीटर प्रतिदिन दे सकती है।

बच्चा देने के चार से आठ हफ्तों (30 से 60 दिन) में आपको सबसे ज्यादा दूध मिलेगा। बकरियों का दूध पौष्टिक होता है और अगर हमें ज्यादा मात्रा में दूध चाहिए तो नियमित आहार खिलाना चाहिए जिसमें 200 gm  से250 gm  दाना की मात्रा हो जिससे जरूरी पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सके।

बरबरी बकरी के दूध में 3 से 3.5% वसा(fat ) की मात्रा होती है तथा 2.5 से 3% प्रोटीन की मात्रा होती है।

बरबरी नस्ल से मांस उत्पादन

मुख्यतः  बकरियों का पालन मांस उत्पादन के लिए किया जाता है और बरबरी नस्ल बेहतर मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है।भारत के कुछ स्थानों में यह भी माना जाता है कि कम ऊंचाई वाली बकरियां बेहतर मांस उत्पादन के लिए मानी जानती है  तथा इनका मांस स्वादिष्ट भी होता है।

बरबरी नस्ल की बकरियां स्टॉल सेटिंग सिस्टम में लगभग 100 gm  प्रतिदिन वजन बढ़ाती हैं। वहीं अगर हमें इससे बेहतर मांस प्राप्त करना है तो नियमित हरी तथा सूखी घास और संतुलित दाने की मात्रा को खिलाना होगा।

Feed conversion ratio (FCR) बरबरी नस्ल का अच्छा होता है। इस नस्ल के बकरे 1 साल में लगभग 35 से 40 kg  किलोग्राम के वजन के हो जाते हैं तब बकरियां 30 से 35 kg  की हो जाती हैं।

बरबरी बकरी की कीमत

बरबरी नस्ल की बकरियां एवं बकरे दूसरी अन्य बड़ी नस्लों की तुलना पर शरीर में छोटे एवं कद काठी में गठीले  होते हैं इसलिए इनकी  कीमत दूसरी बकरियों की तुलना पर कम होती है।

एक व्यस्क  बकरी की कीमत जिसका वजन 25 केजी से 28 केजी के बीच का होता है 8 से ₹10000 प्रति नग के हिसाब से मिल जाएगी। तथा एक व्यस्क बकरे की कीमत जिसका वजन 30 से 35 केजी के बीच का होता है 12 से 15000 के बीच में आराम से मिल जाएगा। बहुत सारे किसान दोस्त जो बरबरी नस्ल की बकरियों को पालते हैं वह प्रति नग से ना बेच कर प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचना पसंद करते हैं जिसका रेट आपको ₹300 से लेकर 350 प्रति किलो मिल जाएगा।

बरबरी नस्ल की बकरियों को कैसे पहचाने?

बरबरी बकरी मध्यम आकार की छोटी बकरी होती है जिसकी ऊंचाई 25 इंच तथा लंबाई 30 इंच की हो सकती है। बरबरी बकरी देखने में हिरण के जैसे होती है इसका रंग सफेद जिसमें भूरे रंग के धब्बे होते हैं और कभी-कभी भूरे रंग में सफेद रंग के धब्बे होते हैं।

इसके कान छोटे एवं सीधे होते हैं। प्योर नस्ल की बकरी के आंखों का रंग भूरा होता है।

नर और मादा दोनों में सिंघ होते है।

बरबरी नस्ल के फायदे

इस नस्ल की बकरियां कम समय में परिपक्व हो जाती हैं। इस नस्ल  से आपको 15 से 16 महीनों में ही पहली बार बच्चे प्राप्त हो जाएंगे।

इस नस्ल का पालन मांस  तथा दूध उत्पादन के लिए किया जाता है।

इस नस्ल की बकरियों में जुड़वा बच्चे देने की क्षमता दूसरी नस्ल की बकरियों से अधिक(75 %) होती हैं।

इस नस्ल को आसानी से स्टॉल फीडिंग सिस्टम पर ढाला जा सकता है।

इस नस्ल की बकरियां किसी भी वातावरण में आसानी से ढल जाती हैं।

अंत में

आज इस पोस्ट में हमने जाना कि बरबरी बकरी की पहचान क्या होती है तथा बरबरी बकरी का पालन किस उद्देश्य के लिए बेहतर हो सकता है मांस उत्पादन या दूध उत्पादन। साथ ही साथ हमने इसकी पहचान कीमत और फायदों के बारे में जाना की बरबरी नस्ल की बकरियों को आसानी से स्टॉल फीडिंग सिस्टम में कैसे ढाला जा सकता है। आशा करता हूं बरबरी नस्ल से जुड़े सारे सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट में मिले होंगे यदि और भी कोई सवाल हैं तो मुझे कमेंट करके बता सकते हैं।

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