विदेश

पाकिस्तान में आर्मी चीफ जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर बवाल

इस्लामाबाद
पाकिस्तान में जनरल कमर जावेद बाजवा के रिटायरमेंट के बाद नए आर्मी चीफ की नियुक्ति पर बवाल मचा हुआ है। जनरल बाजवा इसी साल नवंबर में अपने पद से रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में नए आर्मी चीफ का चुनाव मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस रेस में सबसे आगे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व चीफ और वर्तमान में पेशावर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद का नाम बताया जा रहा है। खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि फैज हमीद टॉप सीनियर अधिकारी हैं, ऐसे में आर्मी चीफ के लिए उनके नाम पर भी विचार किया जाएगा। उनके इस बयान पर सत्तारूढ़ पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

मरियम बोलीं- आर्मी चीफ ऐसा हो जिसकी प्रतिष्ठा बेदाग हो
मरियम नवाज ने कहा कि सेना प्रमुख को एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसकी प्रतिष्ठा बेदाग हो और जो किसी भी आलोचना या संदेह से मुक्त हो। दरअसल फैज हमीद को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का करीबी माना जाता है। खुद इमरान खान फैज हमीद की आर्मी चीफ के तौर पर नियुक्ति की वकालत कर चुके हैं। फैज हमीद ही वह शख्स हैं, जिनके कारण इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बावजा के बीच मतभेद शुरू हुए थे। ऐसे में मरियम नवाज नहीं चाहती हैं कि इमरान खान के दोस्त फैज हमीद को पाक आर्मी चीफ का पद मिले।

मरियम नवाज के बयान पर भड़की पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तानी सेना के प्रॉपगैंडा विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने पेशावर कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बारे में देश के वरिष्ठ राजनेताओं की टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की। आईएसपीआर ने कहा कि पेशावर कोर पाकिस्तानी सेना का एक शानदार अंग है, जो दो दशकों से अधिक समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। ऐसे में सबसे सक्षम और पेशेवर अधिकारियों में से एक को इस प्रतिष्ठित कोर का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। हाल ही में पेशावर कोर कमांडर के बारे में महत्वपूर्ण वरिष्ठ राजनेताओं की अविवेकपूर्ण टिप्पणियां बहुत अनुचित हैं।

'फैज हमीद' सिर्फ नाम ही काफी है
फैज हमीद ने 6 जून, 2019 से 19 अक्टूबर 2021 तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस प्रमुख के रूप में कार्य किया था। जिसके बाद उन्हें पेशावर कोर का कमांडर बना दिया गया था। उन्हें ही काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान के अंदर मचे खींचतान को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कहा तो यहां तक जाता है कि फैज हमीद के नेतृत्व में ही तालिबान और पाकिस्तानी स्पेशल फोर्सेज ने विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर पर कब्जा किया था। इमरान खान के साथ उनके मधुर संबंधों को देखते हुए तब संभावना जताई गई थी कि उन्हें पाकिस्तान का अगला आर्मी चीफ बनाया जा सकता है।

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