विदेश

डेढ़ लाख करोड़ का पाक सेना का कारोबार अवैध – इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट

इस्‍लामाबाद
तेल पाइप लाइन बनाने से लेकर घर बेचने जैसे 50 से ज्‍यादा बिजनस कर रही पाकिस्‍तानी सेना को इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट ने करारा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने  एक व‍िस्‍तृत आदेश जारी करके कहा कि पाकिस्‍तानी सेना को कोई अधिकार या क्षेत्राधिकार नहीं है कि वह प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से किसी बिजनस वेंचर को चलाए। हाइकोर्ट ने यह भी ऐलान किया कि पाकिस्‍तानी नौसेना का गोल्‍फ कोर्स और रक्षा सचिव को आदेश दिया कि वह राष्‍ट्रीय खजाने को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए आडिट करे। पाकिस्‍तानी सेना का कुल बिजनस करीब डेढ़ लाख करोड़ का है।

 

इस्‍लामाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि सेना की कमांड और कंट्रोल संघीय सरकार में निहित है, ऐसे में कोई भी शाखा अपने प्रतिष्‍ठान के बाहर जाकर किसी भी तरह की गतिविधि को अंजाम नहीं दे सकती है जब तक उसे ऐसा करने के लिए कहा न जाए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सेना की जिम्‍मेदारियों के बारे में संविधान में खासतौर पर लिखा गया है। कोर्ट ने नैशनल पार्क के अंदर पाकिस्‍तानी सेना के निदेशालय के 8,068 एकड़ की जमीन पर दावे को भी खारिज कर दिया।

'सेना ने जमीन को अपने हाथ में लेकर कानून का उल्‍लंघन किया'
कोर्ट ने पाकिस्‍तानी सेना और मोनल रेस्‍त्रा के बीच लीज को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले में इस्‍लामाबाद पर्यावरण आयोग की रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। अदालत ने कहा कि राज्‍य और सरकारी अधिकारियों की यह ड्यूटी है कि वे मारगल्‍ला हिल्‍स की सुरक्षा करें। कोर्ट ने कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्‍मेदारी है कि वह लोगों के मूलभूत अधिकारों का उल्‍लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ ऐक्‍शन ले। वहीं विडंबना यह है कि पाकिस्‍तानी सेना एक संरक्षित क्षेत्र को बर्बाद कर रही है।

कोर्ट ने कहा कि पाकिस्‍तानी नौसेना और सेना दोनों ने इस जमीन को अपने हाथ में लेकर कानून का उल्‍लंघन किया। बता दें कि पाकिस्तानी सेना ने देश में उद्योगों का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया है। पाकिस्‍तानी सेना सबसे ज्यादा मुनाफे का बिजनस माने जाने वाले तेल के कारोबार में भी उतर गई है। सेना अपने अलग-अलग कमर्शल संगठनों के जरिए 50 से ज्यादा कारोबार चलाती है और हाउसिंग प्रॉपर्टीज की मालिक है। साल 2016 में सेना की ओर से चलाए जा रहे कारोबार की वैल्यू 20 बिलियन डॉलर (1400 अरब भारतीय रुपए) के आसपास थी, जो की केवल तीन साल में बढ़कर लगभग 100 बिलियन डॉलर (लगभग 7000 अरब रुपये) हो गई है।

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