धर्म

पितरों की करें सेवा मिलेगा आशीर्वाद

अश्विनी मास के पहले पंद्रह दिन श्राद्ध रहते हैं। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक पंद्रह दिन पितरों की सेवा करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए हैं। पहला श्राद्ध पूर्णिमा का होता है। जिनके पितरों का देहांत पूर्णिमा को हुआ हो वह पूर्णिमा को ही उनका श्राद्ध करते हैं। इन पंद्रह दिनों में पितरों की मृत्यु की तिथि वाले दिन ही उनका श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। अमावस्या को पितरों को विदा दी जाती है।हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा एवं हिमगिरि निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित केदार नाथ मिश्रा ने बताया 11 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही अश्विनी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा आरंभ हो रही है। इसके साथ ही पितृ पक्ष आरंभ हो जाएगा।परंतु पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्र पद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही किया जाता है। जो 10 सितंबर को है। इसलिए महालय का आरंभ 10 सितंबर से ही हो जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button