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कही आप तो नहीं मोटापे का शिकार ! जाने आपके लिए कितना खतरनाक मोटापा..

शरीर को फिट और स्वस्थ बनाए रखने के लिए वजन का नियंत्रित रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। मौजूदा समय में तेजी से बढ़ रही कई सारी बीमारियों के लिए मोटापा को प्रमुख जोखिम कारक के तौर पर देखा जा रहा है। वैसे तो पुरुष और महिला, दोनों के लिए मोटापे की समस्या काफी जटिलताओं भरी हो सकती है, हालांकि महिलाओं में यह समस्या अधिक परेशानियों का कारण बन सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि सामान्य से अधिक वजन होना हृदय रोग, डायबिटीज और गठिया जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है, वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इन समस्याओं का खतरा अधिक देखा गया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक आहार संबंधी गड़बड़ी और कम होती शारीरिक गतिविधियों के कारण समय के साथ पुरुष और महिला दोनों में वजन बढ़ने की समस्या देखी जा रही है। अधिक वजन का स्वास्थ्य के लगभग हर पहलू पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। महिलाओं में यह प्रजनन और प्लोमोनरी फंक्शन को भी प्रभावित कर सकती है।
" इतनी ही नहीं अधिक वजन होने के कारण मधुमेह, हृदय रोग, स्तन कैंसर, पीओएस जैसी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है "

महिलाओं में पीसीओएस का बढ़ जाता है खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) होने का खतरा अधिक होता है। मोटापा के कारण महिलाओं में प्रजनन संबंधी हार्मोन की असमानताओं के कारण यह समस्या होती है। पीसीओएस के कारण मासिक धर्म की असमानता, मुंहासे, शरीर में बाल अधिक होने और कुछ स्थितियों में प्रजनन की दिक्कतें भी हो सकती हैं।

महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या

शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण महिलाओं में पुरुषों की तुलना में गठिया की समस्या का जोखिम अधिक होता है, वहीं अगर आप मोटापे की शिकार हैं तो इसका खतरा और भी बढ़ जाता है। मोटापा बढ़ने के कारण आपके घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता  है ,जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने की आशंका बढ़ जाती है। यही कारण है कि महिलाओं को वजन को नियंत्रित करने पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है।

हृदय रोगों का जोखिम

अगर आपका वजन सामान्य से अधिक है तो आपमें हृदय रोग (कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक) होने का खतरा अधिक हो सकता है। वजन अधिक होने के कारण ब्लड लिपिड, विशेष रूप से हाई ट्राइग्लिसराइड्स, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप की समस्या बढ़ जाती है। ये स्थितियां हृदय रोगों का प्रमुख जोखिम कारक मानी जाती है। वजन को नियंत्रित रखना हृदय रोगों से बचाव के लिए बहुत आवश्यक है।

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