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देवी भागवत महापुराण आयु, आरोग्य, पुष्टि, सिद्धि एवं मोक्ष प्रदान करने वाला दिव्य ग्रंथ है : कान्हाजी महाराज

- नर्मदा तट आंवलीघाट पर बह रही ज्ञान गंगा

रेहटी। मां नर्मदा के पावन उत्तर तट गुरुदेव दत्त कुटी आंवलीघाट में स्वामी जमुनागिरी जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में कथा प्रवक्ता कान्हा जी महाराज ने व्यासपीठ से कहा कि देवी भागवत महापुराण आयु, आरोग्य, पुष्टि, सिद्धि एवं आनंद कथा मोक्ष प्रदान करने वाला दिव्य ग्रंथ है। देवी भागवत एक अत्यंत गोपनीय पुराण है, जिसका वर्णन सर्वप्रथम भगवान शिव ने महात्मा नारद के लिए किया। पूर्वकाल में उसे फिर स्वयं भगवान व्यास ने भक्तिनिष्ठ महर्षि जैमिनि के लिए श्रद्धापूर्वक कहा और फिर उसी को वर्तमान में प्रेषित किया जाता है। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।
कान्हा जी महाराज ने कहा कि मां जगदंबा सभी की उत्पत्तिकर्ता मानी जाती है, क्योंकि आरंभ में, परम शक्ति निर्गुण (बिना आकार के) थी, जिसने बाद में स्वयं को तीन शक्तियों (सत्त्विक, राजसी और तामसी) के रूप में प्रकट किया। कान्हाजी महाराज ने मां भद्रकाली, मां सरस्वती एवं महालक्ष्मी के अवतार की कथा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि-
सत्त्विक शक्ति- रचनात्मक क्रिया और सत्य का प्रतीक है।
राजसी शक्ति- लक्ष्यहीन कर्म और जुनून पर केंद्रित है।
तामासी शक्ति- विनाशकारी क्रिया और भ्रम का प्रतिनिधित्व करता है।
श्रीदेवी भागवत महापुराण ने देवी दुर्गा को परम सत्य के रूप में वर्णित किया है और वह ‘निर्गुण’ (बिना आकार के) के रूप में ब्रह्मांड का परम स्रोत है, साथ ही सभी का शाश्वत अंत है। उन्हें शक्तिशाली रचियता और दयालु सर्वव्यापी के रूप में पूजा जाता है। इस दिव्य देवी को प्रबुद्ध ज्ञान है, जिसके पास समस्याओं से परेशान सभी साहसी देवता मदद के लिए आते हैं और उनकी कृपा पर निर्भर होते हैं, क्योंकि उन्हें ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है। वह अष्टंगी हैं (आठ भुजाएं हैं, प्रत्येक में विभिन्न हथियार पकड़े रखती हैं)।
गुरुदत्त कुटी आंवलीघाट में चल रही देवी भागवत कथा में कान्हा जी महाराज जी ने कहा कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, जिसके साक्षात हम प्रमाण हैं, वे एकमात्र भगवती ही हैं। जो इस समग्र जगत को धारण करती हैं तथा योगीजन जिनका चिंतन करते हैं और जिनसे यह विश्व प्रकाशित है, वे एकमात्र भगवती दुर्गा ही इस जगत में व्याप्त हैं।
कथा सुनने से दूर हो जाते हैं समस्त पाप-
इस अवसर पर स्वामी जमुनागिरी जी ने बताया कि श्री देवी महापुराण के श्रवण से मनुष्यों के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। ये कथा मनुष्य के जीवन को अंधकार से निकालकर प्रकाशमान बनाती है। उन्होंने बताया कि कथा को सुनने के लिए क्षेत्रवासियों सहित दूर-दूर से भक्तगण आ रहे हैं एवं कथा सुनकर वे अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं। कथा प्रतिदिन दोपहर एक बजे से चार बजे तक होती है। इसके बाद आरती एवं प्रसादी का वितरण किया जाता है। उन्होंने क्षेत्रवासियों सहित समस्त भक्तगणों से भी कथा में पहुंचने की अपील की है। कथा सुनने के लिए मप्र लघु वनोपज के पूर्व उपाध्यक्ष रामनारायण साहू, सलकनपुर मंदिर समिति एवं जनपद पंचायत सदस्य अरविंद दुबे, वरिष्ठ भाजपा नेता अनार सिंह चौहान, भाजपा सलकनपुर मंडल अध्यक्ष प्रेमनारायण मीणा, मंडल महामंत्री पुरुषोत्तम यादव, ज्ञानेश्वर पाटिल खरगोन सहित क्षेत्रवासी, परिक्रमावासी सहित अन्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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