अमेरिका बोला – अपने हितों के लिए तालिबान शासन के साथ मेलजोल बढ़ा रहा भारत
वाशिंगटन
अफगानिस्तान पर तालिबान शासन कायम होने के एक साल बाद पहली बार भारतीय प्रतिनिधिमंडल के काबुल दौरे पर अमेरिका ने सोमवार को कहा कि भारत के कुछ अपने हित हैं जिससे वह तालिबान शासन से जुड़ रहा है। भारत ने पिछले हफ्ते वरिष्ठ राजनयिकों के दल को अफगानिस्तान भेजा था, जिससे वह भारत द्वारा भेजी जा रही मानवीय सहायता वितरण की निगरानी कर सके और तालिबान शासन के वरिष्ठ सदस्यों से मिल सके।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि टीम का नेतृत्व मंत्रालय द्वारा पाकिस्तान, अफगानिस्तान व ईरान के लिए नियुक्त अधिकारी जेपी सिंह ने किया। दल ने इस दौरान अफगानिस्तान के लोगों के लिए भेजी गई मानवीय मदद को लेकर तालिबान शासन के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात कर विचार विमर्श किया। अमेरिकी प्रशासन के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि दुनिया में बहुत से देशों के अफगानिस्तान में अपने-अपने हित हैं, जिससे वे तालिबान शासन से जुड़ रहे हैं। इन्हीं में भारत भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इस पर निगरानी के लिए दोहा में हमारी टीम नियुक्त है। प्राइस ने कहा कि भारत ने तालिबान शासन से कोई आधिकारिक समझौता किया है।
ऐसे मदद कर चुका है भारत
भारत अफगानिस्तान की मदद के लिए 20 हजार टन गेहूं, 13 टन दवाएं, वैक्सीन की पांच लाख खुराकें और जाड़े के कपड़े भेज चुका है।
अफगानिस्तान वैश्विक भूखग्रस्त देशों की हाटस्पाट सूची में
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने अफगानिस्तान सहित 20 भूखग्रस्त देशों के हाटस्पाट चिह्नित कर वहां तत्काल मानवीय मदद की कार्रवाई के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी जारी की है। यहां जून से सितंबर 2022 तक भुखमरी से स्थिति खराब होने की आशंका जताई है। अफगानिस्तान में औसत से कम फसल के पैदावार से देश भर में अभूतपूर्व स्तर की भुखमरी की स्थिति पैदा हो रही है। मई 2022 के हंगर हाटस्पाट्स की रिपोर्ट के अनुसार, इथियोपिया, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और यमन विनाशकारी परिस्थितियों वाले हाटस्पाट के रूप में हाई अलर्ट पर बने हुए हैं। वहीं, जनवरी 2022 में पिछली हाटस्पाट रिपोर्ट के बाद से अफगानिस्तान और सोमालिया भी इस चिंताजनक वर्ग में शामिल हो गए हैं।