विदेश

 रंग गायब, कपड़ा भी पूरी तरह से सड़ा हुआ, फिर भी 94 लाख में बिकी 1857 में डूबे जहाज में मिली जींस 

वॉशिंगटन । एक अच्छी क्वालिटी की नई पैंट हजारों में बिकती है। लेकिन अगर बेहद पुरानी पैंट लाखों में बिके तो हम सभी को आश्चर्य होगा? लेकिन ऐसा सच में हुआ है। 1857 में डूबे एक जहाज के मलबे से इस पैंट को रिकवर किया गया था जो एक नीलामी में 1 लाख 14 हजार डॉलर (9431619 रुपए) में बिका है। माना जाता है कि ये जींस पैंट मजदूरों के लिए डिजाइन किया गया था जो कठिन श्रम करते थे। 
नीलामी घर होलाबर्ड वेस्टर्न अमेरिकाना कलेक्शंस के विशेषज्ञों का मानना है इस पैंट का पुराना मालिक एक खनिक हो सकता है। पांच बटन वाला यह पैंट 100 साल से ज्यादा समय तक समुद्र की गहराई में सड़ रहा था जिससे इसका रंग अब काला-भूरा है। पैंट का असली रंग कैसा था यह अभी भी रहस्य है। जहाज में एक बक्से में यह पैंट मिला था। बक्से की पहचान से पता चला है कि संभवतः यह अमेरिका के ओरगन के रहने वाले जॉन डिमेंट नाम के एक व्यापारी का रहा होगा जो इस दुर्घटना में बच गया था। हालांकि अन्य सैकड़ों लोगों की किस्मत इतनी ही अच्छी नहीं थी और वे सभी इस हादसे में मारे गए। 
जॉन डिमेंट मैक्सिको और अमेरिका के युद्ध में भी लड़ चुके थे। जिस जहाज पर पैंट मिला उसका नाम एसएस सेंट्रल अमेरिका था जो 280 फीट लंबा था। पनामा से न्यूयॉर्क के बीच एक तूफान में यह डूब गया था। जहाज के अंदर डूब कर ही सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। जहाज के अवशेष 1988 में उत्तरी कैरोलिना के तट पर पाए गए थे। इस जहाज को सोने का जहाज भी कहा जाता था। इस जहाज पर कई किलो सोने की इंटे सिक्के भी लदे हुए थे। जब जहाज को खोजा गया तो इसमें से 36 किलो सोना पाया गया।
जब से यह पैंट मिला तभी से इसकी उत्पत्ति बहस का विषय बनी रही है। लिस्टिंग पेज के मुताबिक नीलामी घर के अधिकारियों का मानना है कि यह लेवाइस द्वारा बेचे गए शुरुआती पैंट में से एक है। 
डिजाइन और बनावट की टेक्निक के आधार पर उन्होंने यह अनुमान लगाया है। हालांकि आधिकारिक तौर पर लेवाइस ने अपना पहला जींस जहाज डूबने के 16 साल बाद 1873 में बेचा था। कंपनी के आर्काइव डायरेक्टर ट्रेसी पानेक का कहना है कि इस पैंट पर ब्रांडिंग और हॉलमार्क मिसिंग है। मुझे लगता है न तो यह लेवाइस का है और न ही खदान में काम करने वाले किसी खनिक का।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button