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जेसीपीओए से हटने का फैसला अमेरिकी विदेश नीति से सबसे बड़ी भूल: अमेरिकी शीर्ष अधिकारी 

वाशिंगटन । अमेरिकी शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का ईरान परमाणु कार्यक्रम पर एक महत्वपूर्ण समझौते ‘जेसीपीओए से हटने का फैसला हाल के वर्षों में अमेरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक है। संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) को आमतौर पर ईरान परमाणु समझौते या ईरान समझौते के रूप में जाना जाता है। इस पर सहमति 14 जुलाई 2015 को ईरान और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ ‘पी5 प्लस 1’ समूह के बीच वियना में बनी थी। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा ‘‘यह (बाइडन) प्रशासन जेसीपीओए से हटने के पिछले प्रशासन के निर्णय पर विचार कर रहा है जो हाल के वर्षों में अमेरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी रणनीतिक भूलों में से एक है।’’
‘पी5 प्लस 1’ समूह में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- चीन फ्रांस रूस ब्रिटेन और अमेरिका तथा जर्मनी शामिल हैं जिन्होंने बराक ओबामा प्रशासन के दौरान ईरान के साथ एक समझौता किया था। प्राइस ने कहा कि अमेरिका के लिए जेसीपीओए को एक राजनयिक व्यवस्था तक पहुंचाने में सक्षम होने का कारण यह था कि उसने ईरान पर महत्वपूर्ण आर्थिक दबाव बनाने के लिए दुनिया भर के सहयोगियों और भागीदारों के साथ काम किया। उन्होंने कहा ‘‘जो अंततः ईरान को वार्ता की मेज पर लाया वह शासन की ओर से मानसिकता में एक रणनीतिक परिवर्तन कतई नहीं था। मुझे लगता है कि यह एक अहसास था कि वे जबरदस्त आर्थिक दबाव में हैं। 
प्राइस के अनुसार हमारा लक्ष्य सुनिश्चित करना है कि ईरान तब तक दबाव महसूस करता रहे जब तक कि वह रास्ता नहीं बदलता। उन्होंने कहा ‘‘अब आप ऐसा कर सकते हैं क्योंकि पिछले प्रशासन ने अधिकतम दबाव की रणनीति के साथ ऐसा करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा यह स्पष्ट रूप से बेअसर रहा। इतिहास हमें सिखाता है कि आर्थिक दबाव सबसे ज्यादा प्रभावी होता है।

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