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इमरान खान की वफादारी में पूर्व स्पीकर ने कर दी SC की अवमानना, चुकानी पड़ सकती है कीमत

इस्लामाबाद
इमरान नियाज़ी यानी इमरान खान सरकार को हटाने के लिए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने से इनकार करके नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने खुद के लिए एक नई मुसीबत खड़ा कर लिया है। इसे पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना ​​तौर पर देखा जा रहा है। इसके लिए उन्हें सजा भी मिल सकती है।  असेंबली या संसद में अध्यक्ष का पद गैर-पक्षपाती और राजनीतिक दलों से ऊपर माना जाता है। कैसर ने इमरान खान के साथ अपने 30 साल पुराने संबंधों का हवाला दिया और पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों के बेंच के निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया। शनिवार को न्यायालय द्वारा अनिवार्य रूप से अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने के बजाय स्पीकर कैसर ने पक्षपातपूर्ण मार्ग चुना और अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

इससे पहले उनके डिप्टी कासिम सूरी ने 3 अप्रैल को इमरान खान सरकार को बर्खास्त करने की कथित विदेशी साजिश के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने असेंबली के सत्र को स्थगित कर दिया था। इसके बाद विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 7 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश ने नेशनल असेंबली को बहाल करने और 9 अप्रैल को मतदान करने का आदेश दिया था। जिस समय सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी, उस समय इमरान खान सदन में नहीं बल्कि इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में स्थित अपने निजी घर में मौजूद थे। यह भी कहा जाता है कि सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और डीजी (आईएसआई) लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम ने इमरान खान से उनके बानी गल्ला स्थित आवास पर मुलाकात की। आपको बता दें कि पूर्व क्रिकेटर ने अपनी सरकार को बर्खास्त करने के लिए एक विदेशी साजिश का आरोप लगाते हुए आज विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।

पाकिस्तान पर नजर रखने वालों के अनुसार, पीएमएल (एन) के नेता शहबाज शरीफ सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इससे उपयुक्त समय पर आम चुनाव का मार्ग प्रशस्त होगा। अविश्वास प्रस्तान पर वोटिंग से पहले विधानसभा में पीटीआई के एकमात्र सदस्य ने कहा कि इमरान खान दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में लौटेंगे।

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