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नए शोध से हिमनदी बाढ़ के वैश्विक खतरों का चला पता

वेलिंगटन| बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, पिघला हुआ पानी पास में झीलों के रूप में इकट्ठा हो सकता है, जिससे ऊंचे पहाड़ों में रहने वाले लगभग 1.5 करोड़ लोगों पर ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ का खतरा मंडरा सकता है। बुधवार को हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। न्यूजीलैंड और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा नेचर में प्रकाशित एक नए शोध में कहा गया है कि, ये झीलें नीचे की ओर रहने वाले लोगों के लिए प्राकृतिक खतरा पैदा कर सकती हैं क्योंकि प्राकृतिक बांध की विफलता के साथ अचानक बाढ़ आ सकती है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययन में पाया गया है कि हाई माउंटेन एशिया और एंडीज में रहने वाले लोग इस खतरे के सबसे अधिक संपर्क में हैं और घनी आबादी वाले क्षेत्रों के लिए सबसे अधिक जोखिम हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटरबरी स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंट के वरिष्ठ अध्यापक थॉमस रॉबिन्सन ने कहा कि, ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ बिना किसी चेतावनी के आ सकती है, जिससे भविष्य में होने वाले जीवन के नुकसान को कम करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि 1990 के बाद से ग्लेशियल झीलों की संख्या और आकार में तेजी से वृद्धि हुई है और वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 15 मिलियन लोग संभावित ग्लेशियल झील के फटने की बाढ़ के प्रभावों के संपर्क में हैं।

रॉबिन्सन ने कहा कि प्रमुख आपदाओं को रोकने के लिए अध्ययन में पहचाने गए समुदायों के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है।

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