विदेश

यूक्रेन पर हमले की कीमत चुका रहे रूस के लोग, दवा संकट गहराया, कीमतें भी बढ़ीं

 मॉस्को

यूक्रेन पर आक्रमण करने वाले रूस में हालात ठीक नहीं हैं। यहां लोगों ने शक्कर और आटा जैसी चीजों के अलावा दवाओं को भी जुटाना शुरू कर दिया है। खबर है कि देश में दवाओं का संकट गहरा रहा है और बीते महीनों में कीमतें 20 फीसदी  बढ़ गई हैं। कई दवा कंपनियों ने रूस से बाहर जाने का फैसला किया है और साथ ही प्रतिबंधों को भी इसका बड़ा कारण माना जा रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों ने रूस में पूरी तरह कारोबार खत्म करने का ऐलान नहीं किया है। जबकि, लिली जैसे अमेरिकी दवा निर्माता ने कैंसर और डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में जरूरत पड़ने वाली दवाओं की आपूर्ति को सीमित कर दिया है। इसके अलावा कंपनियां उन दवाओं की बिक्री को भी निलंबित कर दिया है, जिन्हें वे 'गैर जरूरी' मान रहे हैं।

इसी तरह के कदम स्विस कंपनी नोवार्टिस और फ्रांस की सेनौफी जैसे निर्माताओं ने भी उठाए हैं। 23 मार्च को प्रकाशित बयान में कंपनी ने कहा था कि वह जीवन के लिए जरूरी दवाओं और वैक्सीन की आपूर्ति नहीं बंद करेंगे।
 

क्या आई कमी?
रिपोर्ट के अनुसार, दवाओं के मौजूदा संकट का बड़ा कारण प्रतिबंध हैं, जिनके चलते रूसी बैंक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था से अलग कर दिया है। ऐसे में फार्मा कंपनियां डिलीवरी के लिए भुगतान नहीं कर पा रही हैं। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स भी बड़ी परेशानी है। कई कंपनियों ने रूस में कार्गो की सुविधा निलंबित कर दी हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख मिखाइल मुराश्को ने कहा कि दवाओं के उत्पादन और आपूर्ति में कोई परेशानियां नहीं है। रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से लिखा कि निर्माताओं और वितरकों की दवाओं औऱ मेडिकल डिवाइस से जुड़ी परेशानियों को सुलझाने के लिए मंत्रालय की तरफ से निगरानी की व्यवस्था बनाई गई है।

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