विदेश

भारत की दरियादिली से खुश हुआ तालिबान, 2 टन दवाओं के लिए कहा शुक्रिया

नई दिल्ली
भारत ने युद्ध से प्रभावित रहे अफगानिस्तान को शुक्रवार को मानवीय सहायता के तहत दो टन जीवन रक्षक दवाओं की खेप भेजी। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, मानवीय सहायता के तहत जीवन रक्षक दवाओं की यह खेप काबुल स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल के प्राधिकारियों को सौंपी गई। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''अफगानिस्तान के लोगों को जारी मानवीय सहायता के तहत भारत ने आज अफगानिस्तान में तीसरी खेप के तहत दो टन जीवन रक्षक दवाएं भेजीं।'' भारत की इस दरियादिली ने तालिबान को खुश कर दिया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट में इसका स्वागत किया है। मुजाहिद ने ट्वीट किया, 'इस्लामिक अमीरात मानवीय सहायता और सहयोग के लिए भारत का आभारी है।'

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान के लोगों के साथ विशेष संबंध जारी रखने और उन्हें मानवीय सहायता प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''इस प्रयास में, हमने हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के माध्यम से अफगानिस्तान को कोविड-19 रोधी टीके की 5,00,000 खुराक और 1.6 टन चिकित्सा सहायता की आपूर्ति की थी।'' मंत्रालय ने कहा, ''आने वाले हफ्तों में, हम अफगानिस्तान को मानवीय सहायता की और अधिक खेपों की आपूर्ति करेंगे, जिसमें दवाएं और खाद्यान्न शामिल होंगे।''
 
अफगानिस्तान की पूर्ववर्ती अशरफ गनी सरकार द्वारा भारत में अफगान राजदूत नियुक्त किये गए फरीद मामुन्दजई ने सहायता प्रदान करने के लिए नयी दिल्ली को धन्यवाद दिया। उन्होंने ट्वीट किया, ''अफगान लोगों को आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत को धन्यवाद। 2 टन आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं से युक्त चिकित्सा सहायता की तीसरी खेप आज काबुल के इंदिरा गांधी अस्पताल पहुंची। अफगानिस्तान को ऐसी आपूर्ति की सख्त जरूरत है।'' गौरतलब है कि भारत ने एक जनवरी को अफगानिस्तान को कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन की 5 लाख खुराक की आपूर्ति की थी और यह घोषणा की थी कि आने वाले सप्ताह में टीके की और खुराक भेजी जायेंगी।

दिसंबर में भारत ने अफगानिस्तान को 1.6 मीट्रिक टन चिकित्सा सहायता की आपूर्ति की थी। भारत ने गुरुवार को कहा था कि वह पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं की आपूर्ति के तौर तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तानी प्रशासन से सम्पर्क में है। भारत ने अफगानिस्तान में नए शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन पर जोर दे रहा है। भारत साथ ही इस बात पर भी जोर दे रहा है किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। भारत अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम से चिंतित है। इसने पिछले साल 10 नवंबर को अफगानिस्तान पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने भाग लिया था।

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