NATO का क्या है प्लान, यूरोप से सटी रूस की सीमा पर 40 हजार सैनिक तैनात
कीव
रूस ने यूक्रेन के जिस नाटो में जुड़ने की आशंका को लेकर हमला किया था, उसी संगठन से जुड़ी सेनाएं उसके सिर पर आ बैठी हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी यूरोपीय देशों से लगती रूस की सीमाओं पर कुल 40 हजार सैनिक तैनात हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के ठीक एक साल पहले फरवरी 2021 में सीधे नाटो कमांड के तहत 4,.650 सैनिकों की तैनाती की गई थी। एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड में तैनात इन सैनिकों में अलग-अलग 4 देशों के जवान शामिल थे। इसके बाद रूस की ओर से भी सैनिकों की तैनाती में इजाफा कर दिया गया था।
रूस ने यूक्रेन की सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाते हुए कहा था कि उसने रक्षात्मक रूप से यह कदम उठाया है। रूस का कहना था कि 1990 के बाद पहली बार ऐसी स्थिति हुई है, जब नाटो ने हमारी पूर्वी सीमा पर इस तरह की घेराबंदी करने का प्रयास किया है। लेकिन रूस के इस कदम के बाद से नाटो की आक्रामकता और बढ़ गई। उसने रूस से सटे अपने सहयोगी देशों में सैनिकों की तैनाती में इजाफा और तेज कर दिया। यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद रूस की पूर्वी सीमा पर स्थित उन देशों में नाटो सैनिकों की संख्या 40 हजार के पार पहुंच गई, जो नाटो संगठन का हिस्सा हैं।
पोलैंड समेत कई देशों में बढ़ी सैनिकों की तैनाती
पोलैंड की ही बात करें तो वहां नाटो सैनिकों की संख्या बढ़कर 1,010 से 10,500 हो गई। इसके अलावा स्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया में भी सैनिकों की तैनाती में इजाफा किया गया है। इनके अलावा भी द्विपक्षीय संबंधों के तहत कई यूरोपीय देशों ने अमेरिकी सैनिकों की तैनाती में इजाफे की मांग की थी। इस तरह यूरोप में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 1 लाख के करीब पहुंच गई है, जो 2005 के बाद सबसे बड़ी संख्या है। दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यूरोपीय देशों में डर का माहौल है और उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के प्रयास तेज किए हैं।
फिनलैंड और स्वीडन ने किया है नाटो के लिए आवेदन
नाटो संगठन में शामिल देशों ने अपनी नीतियों में बदलाव करना शुरू कर दिया है। जमीन, समुद्र से लेकर हवाई ताकत तक में इजाफे की कोशिशें की जा रही हैं। यही नहीं स्वीडन और फिनलैंड जैसे वे देश भी अब नाटो का दरवाजा खटखटा रहे हैं, जो दशकों तक इससे दूर रहे हैं। दोनों ही देशों ने रूस से अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए यह कदम उठाया है। माना जा रहा है कि अगले कुछ सप्ताह में दोनों देश नाटो का हिस्सा हो सकते हैं। बता दें कि फिनलैंड रूस के साथ थल सीमा साझा करता है, जबकि स्वीडन समुद्री सीमा शेयर करता है।