विदेश

 ताइवान पर हमला करने से डर रहे हैं शी जिनपिंग 

वाशिंगटन। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग फिलहाल ताइवान पर हमला करने से डर रहे हैं। यह दावा किया है अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) ने। सीआईए का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस की हालत देखते हुए चीन को अपनी क्षमता पर फिलहाल संदेह हो रहा है। 
 सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा कि चीन ने अब ताइवान पर हमला करने का इरादा टाल दिया है। चिनपिंग ने अपने देश की सेना को ताइवान पर हमला करने के लिए अब 2027 तक तैयार रहने का निर्देश दिया है। चीन को डर सता रहा है कि जैसे यूक्रेन युद्ध में रूस का हाल हुआ है कहीं उसका भी वासा न हो।
अमेरिकी अधिकारी बर्न्स ने रविवार को एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका को पूरा सचेत रहना होगा चाहे चीन ताइवान पर अभी हमला न करे। बर्न्स ने कहा कि ताइवान को नियंत्रित करने की शी की इच्छा को अमेरिका को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि शी ने पीएलए, चीनी सैन्य नेतृत्व को 2027 तक ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार रहने का निर्देश तो दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे विचार बदल नहीं सकते।  राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अगर चीन ने आक्रमण करने की कोशिश की तो अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी। व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिकी नीति स्पष्ट है कि वाशिंगटन ताइवान की स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से हल होते देखना चाहता है।
बता दें कि ताइवान और चीन 1949 में एक गृहयुद्ध के बाद विभाजित हो गए थे। चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है और वह आज भी ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, लेकिन खुद को संप्रभु राष्ट्र बताने वाले ताइवान को अभी तक संयुक्त राष्ट्र या किसी भी बड़े देश द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हुई है। 1979 में, राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने औपचारिक रूप से बीजिंग में सरकार को मान्यता दी और ताइवान के साथ संबंधों को समाप्त कर दिया था। बीजिंग द्वारा हमले की बढ़ती कोशिशों के चलते ताइवान को द्वीप लोकतंत्र के लिए आधिकारिक अमेरिकी समर्थन प्राप्त हुआ है।

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