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अनुराग ठाकुर – खराब खाने के विवाद में ऑस्ट्रेलिया गंभीरता से विचार करे

भारतीय टीम को टी20 वर्ल्ड कप में गुरुवार को नीदरलैंड के खिलाफ खेलना है। यह मुकाबला सिडनी में होगा। उससे पहले वहां बुधवार को खाने को लेकर विवाद हुआ। टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने अभ्यास सत्र के बाद ठंडा खाना देने का आरोप लगाया। साथ ही टीम ने 42 किमी दूर जाकर अभ्यास करने से भी मना कर दिया। इस विवाद पर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि यह गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए था।ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

अनुराग ठाकुर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ''दुनिया के भर लोग जब भारत आते हैं तो भारत आयोजन में कोई कमी नहीं छोड़ता। दुनिया भर के देशों को पता है कि भारत के बहुत सारे खिलाड़ी शाकाहारी भी हैं। देश से बाहर जाकर खाने की बड़ी समस्या रहती थी। वेस्टइंडीज जैसे देशों में खाने के लिए ना के बराबर कुछ मिलता था। जब मैं बोर्ड अध्यक्ष और महासचिव था तब कई बार मैं टीम के साथ शेफ और कुक को भेजता था,ताकि खिलाड़ियों को भोजन की कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए।''

उन्होंने आगे कहा,''ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में इस तरह कि समस्या नहीं आनी चाहिए। वहां भारतीय मूल के काफी लोग हैं। वहां भारतीय व्यंजनों की कमी नहीं है। ऑस्ट्रेलिया में अगर ऐसा हुआ तो वहां के क्रिकेट बोर्ड को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। अगर खिलाड़ी ठीक से खाएंगे नहीं तो अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जा सकती है।''

क्या है पूरा मामला?
टीम इंडिया सिडनी में अभ्यास के बाद दिए जाने वाले खाने से खुश नहीं थी। भारतीय खिलाड़ियों को उनके अभ्यास सत्र के बाद गर्म भोजन नहीं दिया गया। खाने के मेन्यू में सैंडविच भी शामिल था। बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा, ''टीम इंडिया को जो खाना दिया गया वह अच्छा नहीं था। उन्हें सिर्फ सैंडविच दिया गया। उन्होंने आईसीसी को भी बताया कि सिडनी में अभ्यास सत्र के बाद दिया गया खाना ठंडा था और अच्छा नहीं था।''

आईसीसी ने क्या कहा?
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद टी20 वर्ल्ड कप के दौरान भोजन उपलब्ध करा रही है। हैरानी की बात है कि आईसीसी दोपहर के भोजन के बाद कोई गर्म भोजन नहीं दे रही है। द्विपक्षीय सीरीज के दौरान खाने का इंतजाम मेजबान की ओर से होता है। इस विवाद पर आईसीसी के सूत्र ने कहा था कि सभी टीमों को खाने का मेन्यू पहले ही बता दिया गया था। अगर उन्हें समस्या थी तो पहले बताना चाहिए था। फिर भी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।

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