राज्य

क्‍या है 61 वीं बार नरमू के महामंत्री बने केएल गुप्‍ता का राज? 105 साल की उम्र में भी हैं संघर्ष को तैयार

गोरखपुर  

105 साल की उम्र में भी के.एल.गुप्ता रेलवे कर्मचारियों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। उन्‍हें 61वीं बार नरमू का महामंत्री चुना गया है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन के आनलाइन वार्षिक अधिवेशन में बुधवार की शाम को नई कार्यकारिणी का चुनाव हुआ जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से महामंत्री चुन लिया गया। इसके पूर्व रेलकर्मियों के हितों से खिलवाड़, ट्रेड यूनियन को कमजोर करने की साजिश के विरोध में संघर्ष का एलान किया गया। केएल गुप्‍त इस उम्र में भी संघर्ष की जिद को वह जिंदा रख पा रहे हैं तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ अनुशासन भरी उनकी जीवनशैली है।

61वें वार्षिक अधिवेशन के शुभारम्भ के अवसर पर आल इंडिया मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ऑनलाइन जुड़े और संगठन को और मजबूत करने का एलान किया। महामंत्री केएल गुप्त ने कहा कि सरकार मजदूरों की आवाज को दबाने के लिए नया श्रम कानून लाने जा रही है और पूंजीपतियों के हाथों में रेलवे को बेचने की साजिश की जा रही है। उन्होंने रेलवे में निजीकरण, न्यू पेंशन स्कीम और अप्रेंटिस को रेलवे में भर्ती किए जाने पर विशेष जोर दिया। यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष बसंत चतुर्वेदी ने सभा को आगे बढ़ाते हुए कई विषयों पर प्रकाश डाला और पदाधिकारियों व डेलिकेटों को हर समय तैयार रहने का आह्वान किया। केएल गुप्ता ने पूरे वर्ष की समीक्षा करते हुए तमाम कार्यों की उपलब्धियां गिनाईं। अधिवेशन में कुल 161 डेलीगेट ऑनलाइन जुड़े रहे। प्रदीप धर दुबे, वीके सिंह, एनबी सिंह, कामरान अहमद, अजय कुमार वर्मा, ओंकार सिंह, सुरेंद्र सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
 

61 वीं बार एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री बने केएल गुप्त ने कहा कि जब वे रेलकर्मियों के बीच होते हैं तो उन्हें अंदर से ऊर्जा मिलती है। रेलकर्मियों की समस्याओं का समाधान कराना ही जीवन का लक्ष्य है। महामंत्री ने कहा- नरमू दफ्तर ही मेरा घर है और रेलकर्मी परिवार के सदस्य। कहा कि जब तब कान में ट्रेन की सीटी की आवाज और रेलकर्मियों के चेहरे पर मुस्कान नहीं दिखती तब तक उन्हें नींद नहीं आती है। कहा कि उनके खून का एक-एक कतरा संघ सेवा में समर्पित रहेगा।
क्‍या है दिनचर्या

सुबह चार बजे जागने से लेकर रात 11-12 बजे तक आज भी काम करने वाले के.एल.गुप्ता को न दूध पचता है, न जूस। 52 साल की उम्र से तेल मसाला छूट गया। लम्बे अरसे से दिन में सिर्फ दो वक्त दो रोटी और थोड़ी सी दाल लेते हैं। यूनियन के दफ्तर में ही उनका बिस्तर है। यानि जागना, सोना, उठना, बैठना सब यहीं होता है। आखिरी सांस तक कुछ कर गुजरने के जज्बे से लबरेज के.एल.गुप्ता ने पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीज के साथ काम किया था। पूर्वांचल के दमदार समाजवादी शिब्बन लाल सक्सेना और गेंदा बाबू के संघर्षों की यादें उनके जेहन में आज भी जिंदा हैं। के.एल.गुप्ता कहते हैं कि इस उम्र में भी सेहत का साथ है तो उसके पीछे लोकनायक जयप्रकाश नारायण और उन जैसे नेताओं के साथ रहने से उपजा नैतिक बल और जीवन का अनुशासन ही एकमात्र कारण है।

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