विश्व विख्यात लक्ष्मण झूला की तर्ज़ इस ज़िले में होगा एक ब्रिज का निर्माण

पटना
बिहार में इन दिनों पर्यटन को बढ़ावा देने की पुरज़ोर कोशिश की जा रही है। कुछ दिनों पहले ईकोटूरिज़्म को बढ़ावा देने की ख़बर सुर्खियों में थी अब लक्ष्मण झूला की तर्ज़ पर ब्रिज के निर्माण की चर्चा में है। बिहार के जमुई में भी योगनगरी ऋषिकेश में स्थित विश्व विख्यात लक्ष्मण झूला की तर्ज पर एक ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। पुल बन जाने से लछुआड़ धर्मशाला और क्षत्रियकुंड की दूरी कम हो जाएगी। आपको बता दें कि जमुई भगवान महावीर (जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर) की जन्मस्थली है। इसलिए सरकार जमुई को भी पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने में जुट गई है।
लछुआड़ को जैन सर्किट से जोड़ने की क़वायद
जमुई अनुमंडल के मौजूदा प्रखंड सिकंदरा के लछुआड़ ग्राम में मौजूद कुंडग्राम के क्षत्रियकुंड को माना जाता है। केंद्र सरकार ने लछुआड़ को जैन सर्किट से भी जोड़ने की क़वायद तेज़ कर रही है। यही वजह है कि क्षत्रियकुंड गांव में लक्ष्मण झूला (ऋषिकेश) की तरह पुल बनाने की तैयारी की जा रही है। ग़ौरतलब है कि पर्यटन विभाग की तरफ से पुल बनाने की मंजूरी भी मिल चुकी है। आपको बता दें कि लछुआड़ धर्मशाला और क्षत्रियकुंड के बीच की दूरी अभी करीब 17 किलोमीटर है। लेकिन पुल के निर्माण के बाद यह दूरी 10 किलोमीटर रह जाएगी। स्थानीय लोगों को 7 किलोमीटर की दूरी तय करने से निजात मिल जाएगी।
भगवान महावीर ने कुमार गांव किया था रात्रि विश्राम
जैन शास्त्रों के मुताबिक घर को त्यागने के बाद भगवान महावीर क्षत्रियकुण्ड से निकल कर दिन ढलने के पहले ही कुमार गांव (कुर्मार) में रात्रि विश्राम किया था। भगवान महावीर कुमार गांव में ही वस्त्र का त्याग कर ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रस्थान कर गए थे। आज भी सरकारी पाठ्यक्रमों में वैशाली को भगवान महावीर के जन्म स्थान के तौर पर पढ़ाया जाता है। जैन श्वेतांबर समुदाय के दुनिया भर में फैले लोग जमुई स्थित क्षत्रियकुंड को भगवान महावीर का जन्म स्थानते हैं। इसलिए हर साल हजारों की तादाद में यहां अपनी श्रद्धा निवेदित करने पहुंचते हैं। सदियों से क्षत्रियकुण्ड जैन श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र रहा है। क्योंकि य़ह जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर स्वामी की जन्मस्थली है।