मायावती पर बरसीं बेबी रानी मौर्य, बताया क्यों दलित-जाटव वोटर्स ने छोड़ा BSP का साथ
लखनऊ
कभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की समान्य कार्यकर्ता रहीं बेबी रानी मौर्य को योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। जाटव समुदाय से आने वालीं बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर से लेकर उत्तराखंड की राज्यपाल तक रह चुकीं हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा है कि मायावती ने दलितों का वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन उनकी बेहतरी के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार ने दलितों के लिए काम किया, इसलिए अब अब वे पार्टी के साथ आ गए हैं।
इंटरव्यू में बेबी रानी मौर्य से पूछा गया कि मायावती ने 2007 से 2012 तक सरकार चलाई। उसके बाद से उनकी पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है। उन्हें दलितों के मसीहा के रूप में देखा जता था। क्या उन्होंने समुदाय के लिए पर्याप्त काम किया है? इसके जवाब में बेबी रानी मौर्य ने कहा, ''मायावती दलितों की उम्मीदों को पूरा नहीं किया। उन्हें (दलितों) को उनसे काफी उम्मीदें थीं। उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के रूप में वह उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए काम करेंगी। लेकिन उन्होंने दलितों को महज वोट बैंक समझा और व्यक्तिगत फायदे के लिए उनका इस्तेमाल किया।''
मौर्य ने आगे कहा, ''ना तो उन्होंने (मायावती) उनके लिए या आम जनता के लिए कोई अस्पताल बनाया, ना कोई शैक्षणिक संस्थान और ना ही कोई प्रशिक्षण केंद्र। जल्द ही दलित बेहतर विकल्प के लिए दोहारे पर खड़े हो गए। मायावती ने कैसे उन्हें ठगा यह समझकर उन्होंने बीजेप को अपनाया। हम उन्हें साथ लेकर चले और उनकी भलाई के लिए हर संभव प्रयास किया। दलित अब हमारे साथ हैं, और आपने देखा होगा कि कैसे समुदाय खासकर जाटव ने इन चुनावों में बीजेपी के लिए वोट किया।