सोने-चांदी में खेल रहे हैं बिहार के अफसर, अवैध कमाई का जरिया बना बालू और शराब
पटना
भारत में भ्रष्टाचार कितना कम हुआ, इसका पता बिहार में अफसरों के घरों पर पड़ते छापों से लगता है। सोने-चांदी की ईंटें, नकदी और प्रॉपर्टी कागजात के ढेर इसकी तस्वीर दिखाते हैं। बिहार में भ्रष्टाचार के प्रति नीतीश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद बहुत से क्लर्कों से लेकर आईपीएस अफसरों तक ने अपनी आय से कई गुणा अधिक संपत्ति अर्जित की है।
सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई में भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी अधिकारियों के पास अकूत संपत्ति का पता चल रहा है। किसी के घर से सोने-चांदी की ईंटें मिल रही हैं तो कहीं से करोड़ों की नकदी। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) से लेकर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट ऑफिसर (डीटीओ) तक, सर्किल आफिसर (सीओ) से लेकर कार्यपालक अभियंता (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) तक, सिपाही से लेकर पुलिस अधीक्षक (एसपी) तक तथा सब रजिस्ट्रार से लेकर वाइस चांसलर (कुलपति) तक, हर स्तर के अधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई की जद में आए हैं। सिर्फ दिसंबर माह में की गई कार्रवाई में भ्रष्टाचारियों के कब्जे से चार करोड़ रुपये से अधिक की केवल नकदी बरामद की गई है।
रिश्वतखोरी में और खराब हुई बिहार की रैंकिंग
राज्य सरकार की तीन एजेंसियां, आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू), स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) तथा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (विजिलेंस) विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं या शिकायतों के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। छापेमारी में बरामद सामान तथा निवेश का पता चलने पर एकबारगी यह अनुमान करना कठिन हो जाता है कि आखिर किस हद तक ये भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इन एजेंसियों ने बीते छह माह में करीब 30 अफसरों के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर 600 करोड़ से अधिक की काली कमाई को पकड़ा है।
छापेमारी में करोड़ों की संपत्ति उजागर
1999 में नौकरी में आए हाजीपुर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी दीपक कुमार शर्मा के पटना, हाजीपुर व मोतिहारी में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (विजिलेंस) ने बीते 11 दिसंबर को छापेमारी की। ब्यूरो के मुताबिक इस छापेमारी में एक करोड़ 76 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। ये रुपये तीन सूटकेस तथा एक ट्रॉली बैग में ठूंस-ठूंस कर रखे गए थे। इसके साथ ही टीम को 47 लाख रुपये के सोने-चांदी के आभूषणों के अलावा जमीन में निवेश किए गए सात करोड़ रुपये के कागजात भी मिले। दीपक कुमार शर्मा 22 साल से नौकरी में हैं। 17 दिसंबर को स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने समस्तीपुर के सब रजिस्ट्रार मणि रंजन के पटना, मुजफ्फरपुर व समस्तीपुर स्थित ठिकानों पर छापे मारे।
आरोप है कि इन छापों में 60 लाख नकद व लाखों के आभूषण बरामद हुए। इसके अतिरिक्त करोड़ों की जमीन, रियल इस्टेट में निवेश व कई बैंकों के पासबुक व फिक्स्ड डिपॉजिट के कागजात भी मिले। एसवीयू को इनके द्वारा मुजफ्फरपुर में करोड़ों की लागत से 21 कमरों का होटल बनवाने का भी पता चला। अधिकारियों के मुताबिक मणि रंजन सालाना पांच लाख रुपये एलआईसी का प्रीमियम भी भरते थे। कुल मिलाकर इनके पास आय से 165 फीसदी अधिक की संपत्ति होने का अनुमान है।
किलो के हिसाब से चांदी-सोना
इसी तरह पटना जिले के मसौढ़ी में ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता के पद पर तैनात अजय कुमार सिंह के ठिकानों पर विजिलेंस ने छापेमारी की तो पटना के इंद्रपुरी इलाके में स्थित उनके घर से तलाशी के दौरान 95 लाख रुपये कैश मिले। अधिकारियों के मुताबिक एक किलो 295 ग्राम स्वर्णाभूषण तथा 12 किलो चांदी के जेवर व बर्तन बरामद किए गए। इसमें चांदी की तीन ईंटे भी शामिल हैं। बरामद सोने चांदी की कीमत 66 लाख से अधिक आंकी गई है। विजिलेंस की टीम को नोटों की गिनती के लिए बाहर से मशीन मंगानी पड़ी।