राज्य

नेशनल लोक अदालत में किया गया डेढ़ लाख से ज्यादा प्रकरणों का निराकरण

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में आज नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाकर राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौता से निराकृत किये गये हैं। उक्त लोक अदालत में प्रकरणों कें पक्षकारों की भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही माध्यमों से उनकी उपस्थिति में निराकृत किये जाने के अतिरिक्त स्पेशल सिटिंग के माध्यम से भी पेटी आॅफेंस के प्रकरणों को निराकृत किये गये हैं।

समाचार लिखे जाने तक उक्त नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह समझौता के माध्यम से विभिन्न न्यायालयों से कुल 1 लाख 25 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण हो चुके है तथा आज दिनांक को आयोजित नेशनल लोक अदालत की समाप्ति तक लगभग 1 लाख 50 हजार से अधिक प्रकरणों के निराकृत होने की संभावना बताई गई है। इसी प्रकार उपरोक्त नेशनल लोक अदालत में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में कुल 03 खण्डपीठों के द्वारा कुल 45 प्रकरणों का निराकरण करते हुए कुल 48 लाख 70 हजार रुपए का अवार्ड पारित किया गया।

नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी कार्यपालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा माननीय न्यायमूर्ति श्री पी.सैम कोसी पोर्टफोलियो जज, जिला न्यायालय बिलसपुर द्वारा किया गया। न्यायाधीशों द्वारा सभी खंडपीठो में उपस्थित पक्षकारों से चर्चा की गयी उन्हें समझाईश दिया गया तथा खंडपीठ के न्यायिक अधिकारियों, सदस्यों तथा अधिवक्ताओं से भी चर्चा की गई। श्री अशोक लाल अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण बिलासपुर के न्यायालय में दुर्घटना के प्रकरण में आवेदिका फूलबाई को दस लाख बीस हजार रुपए का अवार्ड दिया गया। आवेदिका के पति भोपाल दुबे की दुर्घटना में 16 दिसम्बर 2020 में मृत्यु हो गई थी। मृतक की पत्नी फूलबाई लकवाग्रस्त हैं तथा चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण व्हीलचेयर में आज न्यायालय में उपस्थित हुईं। वहीं एक अन्य प्रकरण स्पेसिक परफार्मेंस का अपर जिला न्यायाधीश स्मिता रत्नावत के न्यायालय में लगभग 5 वर्षों से दो भाईयों राहुल तथा रोहित के बीच में लंबित था। अ_ारह लाख के विवाद के उस प्रकरण में दोनों भाईयों के मध्य समझौता हुआ तथा विक्रयपत्र निष्पादन का अवार्ड पारित किया गया है। न्यायालय द्वारा लगभग एक लाख दस हजार रुपए से अधिक के न्यायशुल्क के वापसी का अवार्ड पारित किया गया।

लोक अदालत की एक अन्य खण्डपीठ में भाई एवं बहन के बीच में सम्पत्ति का विवाद काफी समय से चल रहा था, जिसे समझाईश के द्वारा निराकृत किया गया। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में पति व पत्नी के बीच में मारपीट का एक फौजदारी मामला भी लंबित था, जिसे दोनों पक्षों को समझाईश देकर निराकृत कराया गया। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की उपस्थिति में पति ने पत्नी को बुके देकर प्रकरण में राजीनामा किया। इसी प्रकार कई प्रकरणों में पक्षकारों के मध्य सुलह होने पर न्यायाधीश महोदयों द्वारा पक्षकारों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी ने कहा कि न्यायालयों में प्रकरण काफी लंबे तक साल दर साल चलते हैं और पक्षकारगण परेशान होते रहते हैं, समय एवं धन का भी नुकसान होता है। जबकि लोक अदालत में प्रकरणों का त्वरित निराकरण होता है, पक्षकारों के मध्य संबंध मधुर होते हैं धन की बचत होती है। माननीय न्यायमूर्ति श्री पी.सैम कोसी ने कहा कि प्रकरणों के निराकरण से दोनों पक्षकारों को फायदा पहुंचता है, जब एक प्रकरण निपटता है तो दो लोग लाभांवित होते हैं। लोक अदालत में सिविल प्रकरणों में निराकृत होने पर न्यायशुल्क वापसी की भी शासन द्वारा व्यवस्था की गई है। आज की स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) बिलासपुर में भी 11 प्रकरणों का निराकरण हुआ। कुमारी बनीता प्रधान एवं रॉंयल गर्ल्स हॉंस्टल गांधी चौक के मध्य सेवा की कमी का विवाद चल रहा था, जिसे हॉंस्टल प्रबंधन द्वारा पांच हजार रुपए वापस कर प्रकरण का निराकरण कराया।

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