बिहार पुलिस के 16 अधिकारियों व जवानों को मिला राष्ट्रपति पुलिस पदक
मुजफ्फरपुर
बिहार पुलिस के 16 अधिकारियों व जवानों को विशिष्ट और सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला है। एडीजी सुशील मान सिंह खोपड़े और एडीजी सुनील कुमार को विशिष्ट सेवा पदक मिला है। वहीं मुजफ्फरपुर के झपहा स्थित सीआरपीएफ के रेंज डीआईजी विमल कुमार बिष्ट को राष्ट्रपति पदक मिला है। अरसे बाद मुजफ्फरपुर में स्थित सीआरपीएफ के किसी अधिकारी को राष्ट्रपति पद गृह मंत्रालय ने प्रदान किया है। इसके अलावा मुजफ्फरपुर में एसएसपी व आईजी रहें वर्तमान में विशेष शाखा के अपर पुलिस महानिदेशक सुनील कुमार व मुजफ्फरपुर में डीआईजी रहें व वर्तमान में एडीजी ऑपरेशन सुशील मानसिंह खोपड़े को राष्ट्रपति पदक मिला हैं इन दिनों आईपीएस अधिकारी को राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर डिस्टिंगइश्ड सर्विस के लिए दिया गया है। सीआरपीएफ के सेक्टर डीआईजी रामकुमार ने रेंज डीआईजी को बधाई दी है। मालूम हो कि विमल कुमार बिष्ट मूलरूप से उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले है। देहरादून में स्थित डीएवी कॉलेज से भूगोल में मास्टर की डिग्री की है। 30 जुलाई 1989 को सीआरपीएफ में सहायक कमाण्डेन्ट के पद पर योगदान दिया। इसके बाद यूनाइटेड नेशन में भी दो बार शांति रक्षक की भूमिका में सेवा दी है। इसके अलावा भारत मे एन्टी नक्सल ऑपरेशन में दर्जनों बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्हीं बेहतर योगदान से लिये विमल कुमार विष्ट को राष्ट्रपति के विशिष्ठ सेवा पदक से नवाजा गया है।
1999 व 2000 में यूएन में दिया योगदान
विमल कुमार विष्ट ने बताया कि पंजाब से सीआरपीएफ में योगदान दिया। इसके बाद उत्तर पूर्व, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अत्यधिक अशांत और विद्रोही, उग्रवादी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवा करने में व्यतीत रहा। उन्होंने बताया कि वे सीआरपीएफ, सेना और एनएसजी में विभिन्न विशिष्ट पाठ्यक्रमों में भाग लिया है। 1999 से 2000 तक कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र मिशन और 2004 से 2005 तक सिएरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र मिशन में दो बार अपनी सेवाएं दीं है। लंबे समय तक गृहयुद्धों से पीड़ित दलित लोगों के उत्थान के लिए काम किया है।
श्रीनगर में संभाली थी कमान
उन्होंने बताया कि वे जवाहर सुरंग, श्रीनगर और छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित दंडकार्य क्षेत्र में सैनिकों की कमान संभाली। अपने अनुभव और संचालन कौशल का उपयोग जवाहर सुरंग जम्मू-कश्मीर, असम और छत्तीसगढ़ के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में नए शिविर स्थापित करने का काम भी किया है।