64 करोड़ के पीएफ घोटाले में होगी रिकवरी, जानिए एफआईआर से क्यों बच रहे अधिकारी

लखनऊ
नगर निगम में हुए 64.32 करोड रुपए के पीएफ घोटाले की रकम की रिकवरी होगी। निजी सफाई एजेंसियों से इसकी रिकवरी की जाएगी। नगर निगम के डिप्टी कलेक्टर यमुनाधर चौहान ने रिकवरी की बात हिंदुस्तान से कही। रकम न जमा करने वाली एजेंसियों से उन्हें भुगतान की जाने वाली रकम से भी कटौती की जाएगी।
नगर निगम में साफ सफाई के काम में लगी एजेंसियों ने निगम के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर यह ईपीएफ घोटाला किया है। सभी ने मिलकर कर्मचारियों के हिस्से की यह रकम बंदरबांट की है। नगर निगम के अधिकारी खुद इस बात को मान रहे कि इसमें बड़ा घोटाला हुआ है। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के पत्र में भी इस घोटाले का जिक्र किया गया है। उन्होंने भी साफ लिखा है कि एजेंसियों ने सफाई कर्मचारियों का ईपीएफ खाता ही नहीं खुलवाया है। कुछ ने खाता खुलवाया तो उसमें पैसा ही नहीं जमा किया है।
खुलासे के बाद नगर निगम में इसको लेकर खलबली मच गई है। निजी एजेंसियां भी परेशान हुई हैं। उन्हें डर है कि कहीं नगर निगम इस घोटाले में उनके खिलाफ एफआईआर न दर्ज करा दे। लेकिन अभी तक फिलहाल निगम ने ऐसा निर्णय नहीं लिया है। डिप्टी कलेक्टर यमुना धर चौहान ने बताया कि जिन एजेंसियों ने ईपीएफ के पैसे का गमन किया है उनसे इसकी रिकवरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है। नगर आयुक्त भी वाकिफ हैं। इसलिए कोई भी बचेगा नहीं। सभी दोषियों से ईपीएफ की इस रकम की रिकवरी की जाएगी।
कुल 32 एजेंसियों ने हड़पे हैं 64.32 करोड रुपए
नगर निगम में मैन पावर सप्लाई करने वाली कुल 32 एजेंसियां काम कर रही हैं। यह एजेंसियां नगर निगम को सफाई कर्मचारी सप्लाई कर रही हैं। इन्हीं 32 एजेंसियों ने नगर निगम के अफसरों के साथ मिलकर यह घोटाला किया है। केवल 2 वर्ष में ही इन सभी ने 64.32 करोड रुपए पर हाथ साफ किया है। इससे पहले भी यह घोटाला हुआ है। नगर निगम के सूत्र बताते हैं अगर विस्तार से जांच हो गई तो यह 200 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला निकलेगा।
इसलिए एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर से बच रहे अधिकारी
64.32 करोड़ का ईपीएफ घोटाला करने वाली एजेंसियों के खिलाफ नगर निगम के अधिकारी एफ आई आर दर्ज कराने से लगातार बच रहे हैं। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी को खुद इस घोटाले के बारे में स्पष्ट तौर पर जानकारी है। उन्होंने अपने पत्र में खुद ही लिखा है की सफाई कर्मचारियों के ईपीएफ के लिए दी जा रही 29% रकम उनके खातों में नहीं जमा हुई है। इसका गमन किया गया है। इसके बावजूद उन्होंने इनमें से किसी एजेंसी के खिलाफ न तो एफ आई आर दर्ज कराई है और न ही उन्हें ब्लैक लिस्ट किया है। नगर निगम सूत्रों का कहना है कि निगम के अधिकारी इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं क्योंकि कई एजेंसियां नगर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर हैं। कुछ एजेंसियां पार्षदों के रिश्तेदारों की हैं तो कुछ अन्य एजेंसियां दूसरे प्रभावशाली लोगों की हैं। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक बड़े बाबू की खुद की तीन एजेंसियां है। इनमें से एक को हटाया गया था जबकि दो अभी भी काम कर रही हैं।