राज्य

आंवला, पलाश, पीला गेंदा, प्याज के छिलकों के उपयोग से साड़ी और शाॅल बना रहा रेशम विभाग

  • महिलाओं को रोजगार प्रशिक्षण देने की पहल की जाएगी, अब तक 17 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दे चुका है विभाग
  • विधायक शैलेष पांडेय ने रेशम अनुसंधान विकास एवं प्रशिक्षण केंद्र का किया निरीक्षण

रायपुर
शनिवार को विधायक शैलेष पांडेय ने रेशम अनुसंधान विकास एवं प्रशिक्षण केंद्र कोनी बिलासपुर का निरीक्षण किया। विधायक शैलेष पांडेय ने बताया कि केन्द्र आने का उद्देश्य महिलाओं को उधमिता से जोड़ना है इसके लिए विभागीय अधिकारियों से विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है। महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी इसके लिए विभाग द्वारा निशुल्क प्रशिक्षित किया जाएगा। रेशम विभाग आंवला, पलाश, पीला गेंदा, प्याज के छिलकों के उपयोग से साड़ी और शाॅल बना रहा है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब तक रेशम अनुसंधान विकास एवं प्रशिक्षण केंद्र कोनी बिलासपुर में 17 हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसमें विभागीय कर्मचारियों की संख्या 876, हितग्राही कृषक 4221, कार्यशाला हितग्राही कृषक 11382, एवं गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय एग्रीकल्चर के 650 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

संयुक्त संचालक रेशम श्रीराम मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि सिल्क वर्म (रेशम का कीड़ा) जिसका जीवन औसतन 35 से 40 दिनों का होता है। जो औसतन 1000 मीटर धागा तैयार करता है जिसे कोसा फल कहते हैं। यह फैक्ट्री में जाता है जहां धागा तैयार होता है। बुनकर कपड़ा और धागा बनाकर सीधे बाजार में विक्रय करते हैं। यदि सामान शेष रह जाता है तो सरकार एमएसपी दर से वापस ले लेती है।

सहायक संचालक रेशम के. एन शर्मा ने बताया कि आंवला फूल, अमरूद की पत्ती, मंजिष्ठा जड़, नीलगिरी की छाल, प्याज के छिलके, पलाश के फूल, सिंदूर बीज एवं पीला गेंदा फूल के माध्यम से अनुसंधान केंद्र में रंजीत कोसा धागा तैयार किया जाता है। यह पूर्णता हर्बल रहता है इसके इस्तेमाल करने में शरीर में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है।

इस दौरान संयुक्त संचालक श्री राम मीणा, सहायक संचालक आरएन शर्मा, सेवानिवृत्त सहायक संख्याकीय अधिकारी छाया जैन, एल्डरमैन शैलेंद्र जायसवाल, पार्षद रामा बघेल, अखिलेश गुप्ता बंटी सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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