रेल इंजन बेचने का मामलाः एक बड़े अधिकारी की भूमिका संदिग्ध
समस्तीपुर
पूर्णियां कोर्ट परिसर से रेल इंजन के स्क्रैप की चोरी मामले में समस्तीपुर रेल मंडल के भी कुछ अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। फर्जी मेमो जारी करने वाले अधिकारी की तलाश शुरू हो गयी है। हालांकि, प्रारंभिक कार्रवाई में ए.डी.एम.ई. रैंक के एक पदाधिकारी को सीन से बाहर रखा गया गया है। इस मामले के जीरो रिपोर्ट में उनका नाम शामिल था। लेकिन विधिवत दर्ज प्राथमिकी में उनका नाम नही है। मामले की उच्चस्तरीय जांच के बाद ऐसे अधिकारियों पर भी गाज गिरने की आशंका जतायी जा रही है। इस मामले की रेल विजिलेंस से भी जांच कराने की चर्चा रेल मंडल में की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीआरएम से लेकर जीएम तक इस मामले की प्रत्येक दिन समीक्षा कर रहे हैं। आरपीएफ द्वारा की जा रही कार्रवाई की भी रिपोर्ट ली जा रही है। एक-एक रिपोर्ट वरीय अधिकारियों से साझा की जा रही है। ताकि इस मामले में दोषी कोई भी व्यक्ति बच नहीं सके।
गिरफ्तारी के लिए छापेमारी
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आरपीएफ की टीम समस्तीपुर, पूर्णियां सहित अन्य स्थानों पर छापेमारी कर रही है। अब इन आरोपियों के नजदीकी रिश्तेदारों का भी पता लगाया जा रहा है। ताकि आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके। गौरतलब है कि फर्जी मेमो के आधार पर पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से स्क्रैप को समस्तीपुर लोको शेड के लिए लोड किया गया। लेकिन दो ट्रक व एक पिकअप वैन रास्ते से ही गायब कर दिया गया।
यूपी और बंगाल में बेचा गया इंजन का स्क्रैप
चर्चा है कि उक्त स्क्रैप को किसी माफिया के हाथ बेच दिया गया है। रेलवे की सूत्रों की मानें तो चोरी स्क्रैप को यूपी एवं बंगाल में बेचा गया। हालांकि, इसका खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा। चर्चा के अनुसार, पूरे मामले में समस्तीपुर डीजल शेड के सीनियर सेक्शन इंजीनियर राजीव रंजन झा को मास्टर माइंड माना जा रहा है। लेकिन सूत्रों की बात मानें तो सीनियर सेक्शन इंजीनियर मात्र एक मोहरा है। इसमें समस्तीपुर लोको शेड से लेकर पूर्णिया कोर्ट तक के कई अधिकारी व वरीय कर्मी की संलिप्तता है। हालांकि इसका खुलासा तो इंजीनियर एवं हेल्पर की गिरफ्तारी के बाद ही हो पाएगी।
महिला कांस्टेबल को हटाकर कर दी फर्जी इंट्री
समस्तीपुर डीजल लोको शेड के गेट पर तैनात महिला कर्मी को झांसा देकर फर्जी तरीके से ट्रक व पिकअप की इंट्री कर दी गयी। जबकि पूर्णियां से स्क्रैप लेकर चले ट्रक व पिकअप वैन समस्तीपुर पहुंचा ही नहीं। सूत्रों की मानें तो महिला कांस्टेल को एसआई द्वारा शेड में एक राउण्ड गश्ती लगाने का आदेश दिया गया, इसी बीच मौका देखकर ट्रक व पिकअप के पहुंचने की इंट्री कर दी गयी। जब महिला कांस्टेबल वापस गेट पर पहुंची तो पंजी में इंट्री हो चुकी थी। कांस्टेबल ने इंट्री के अनुसार ट्रक व पिकअप की तलाश भी की। लेकिन ये गाड़ियां वहां पहुंची ही नही थी। संधारित गाड़ी नही दिखने पर उसने इस मामले की शिकायत वरीय अधिकारियों से की।
कर्मी की सजगता से ही हुआ खुलासा
समस्तीपुर डीआरएम आलोक अग्रवाल ने कहा कि कुछ कर्मियों की वजह से रेलवे की बदनामी हुई है। इसमें दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन इसका खुलासा भी एक रेल कर्मी ने ही किया है। इसमें हमारे सिस्टम ने ही काम किया है। अगर इसे जाने देता तो शायद किसी को पता भी नहीं चलता। सिस्टम के लोग हैं जो सजग हैं। संज्ञान में आया तो इसकी जांच की जा रही है। एक दो लोग ही है जो ट्रस्ट को गलत साबित करने में जुटा रहता है। इनके विरुद्ध कड़ी कारवाई की जाएगी।