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योगी सरकार का सख्त रुख: अब नहीं बच पाएंगे ठगी करने वाले बिल्डर

लखनऊ

फर्जीवाड़े के जरिए ग्राहकों को ठग कर बच निकलना अब आसान नहीं होगा। इस काम में शामिल बिल्डर व वित्तीय कंपनियों के संचालक आवंटियों व ग्राहकों को धूल झोंकने पर पकड़ में आ जाएंगे। इसकी पड़ताल अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के जरिए होगी।

इसके जरिए पता किया जाएगा कि जिन कंपनियों व बिल्डरों ने बैंकों से कर्ज लिया है वह रकम कहां-कहां लगाई है और उनकी आमदनी के अन्य स्रोत क्या-क्या हैं। अभी हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवंटियों को फ्लैट या पैसा न देकर खुद को डिफाल्टर घोषित करने वाले बिल्डरों पर निगाह रखने के निर्देश दिए हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह लोग ग्राहकों व आवंटियों के प्रति जिम्मेदारी व उनकी रकम लौटाने के प्रति जवाबदेही से बचने के लिए खुद को डिफाल्टर बता रहे हैं? सीएम ने इस पर भी पड़ताल करने का काम शासन को दिया है। यूपी सरकार ने हाल में अविनियमित निक्षेप स्कीम संबंधी अधिनियम बनाया है। अब इससे संबंधित नियमावली बनाई जा रही है। इसमें राज्य, मंडल व जिला  स्तर पर कमेटियां बनेंगी। इससे संबंधित प्रस्ताव जल्द कैबिनेट से पास कराया जाएगा। इसमें वित्तीय गड़बड़ी करने वाले अगर दोष सिद्ध होते हैं तो उन्हें अदालत 10 साल की सजा या 10 साल का जुर्माना या दोनों लगा सकती हैं। इसके लिए तीन नोएडा, प्रयागराज व लखनऊ की जिला अदालत इस तरह के मामलों की सुनवाई करेंगी।

संस्थागत वित्त विभाग अब एक पोर्टल विकसित करने जा रहा है। इसमें सभी पंजीकृत बिल्डर व वित्तीय कंपनियां अपना पूरा ब्योरा दर्ज करेंगी। उसमें उन्हें बताना होगा कि उन्होंने जनता के लिए योजना कब शुरू की और कब खत्म करेंगे।  किस बैंक से उन्होंने अपनी योजना के लिए कर्ज लिया और उसे कितने ब्याज पर कब चुकाना है। इसके साथ शर्तें आदि भी सार्वजनिक करनी होंगी।

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