राज्य

तेज रफ्तार, हेलमेट और सीट बेल्ट न लगाने से होती हैं मौतें

रायपुर
यदि 40 किमी प्रति घंटा की स्पीड हो तो दुर्घटना में बचने की पूर्ण संभावना होती है। यदि यह रफ्तार दोगुनी हो तो बचने की संभावना केवल 20 फीसदी रह जाती है। यह बात सुप्रीम कोर्ट कमेटी आॅन रोड सेफ्टी के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे ने रोड सेफ्टी को लेकर दुर्ग जिले में हुई प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक में बताई। उन्होंने छत्तीसगढ़, भारत और दुनिया के अनेक देशों में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों की जानकारी दी तथा तुलनात्मक समीक्षा भी की।

न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे ने बताया कि जिन देशों में रोड सेफ्टी को लेकर जागरूकता ज्यादा है। वहां दुर्घटना में मौत की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। उन्होंने वियतनाम का उदाहरण देते हुए बताया कि गंभीरता से उपाय करने से वहां सड़क दुर्घटना में मौतों की संख्या में काफी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि अधिकतम मौत तेज रफ्तार गाड़ी चलाने से होती है। इसके बाद हेल्मेट नहीं पहनने, सीट बेल्ट आदि नहीं लगाने जैसे सुरक्षा उपाय नहीं अपनाने से मौतें होती हैं। शराब पीकर गाड़ी चलाने से भी बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक होकर सेफ्टी रूल्स अपनायें तो, मौतों की संख्या में कमी आ सकती है। सड़क सुरक्षा से जुड़े अधिकारी बेहद गंभीरता से काम करते हुए सेफ्टी रूल्स का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। सतत् मानिटरिंग करें तो स्वत: ही लोग ट्रैफिक नियमों को अपनाने लगते हैं।

बैठक में सचिव परिवहन टोपेश्वर वर्मा ने बताया कि सड़क सुरक्षा को लेकर शासन ने विशेष रूप से फंड उपलब्ध कराया है। सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट 17 करोड़ की लागत से नया रायपुर क्षेत्र के तेंदुआ गांव में बनाया गया है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय रायपुर में 5.22 करोड़ रुपए की लागत से ई-ट्रैक बनाया गया है। आईजी दुर्ग रेंज ओपी पाल ने बताया कि प्रशासन द्वारा नियमित रूप से मोटर व्हीकल एक्ट की गाइडलाइन के मुताबिक जांच की जा रही है। इसके साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। कलेक्टर दुर्ग डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बताया कि सड़क सुरक्षा को लेकर नियमित रूप से समीक्षा बैठक होती है और इसके अनुरूप निर्णय लिये जाते हैं। लोगों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देकर कार्य किया जा रहा है। एसपी दुर्ग बद्रीनारायण मीणा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अंजोर रथ के माध्यम से यातायात जागरूकता के कार्य किए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में हो रहे ये उपाय
सड़क सुरक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों के बारे में इंटर डिपार्टमेंट लीड एजेंसी के चेयरमैन संजय शर्मा ने बताया कि तेंदुआ में ड्राइविंग ट्रेनिंग एवं रिसर्च सेंटर में वर्तमान में 200 वाहन चालकों को विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर में ट्रेनिंग दी जा रही है। सिलेबस में रोड सेफ्टी को शामिल किया गया है। सड़क सुरक्षा को लेकर रायपुर जिले में पायलेट प्रोजेक्ट चल रहा है। इसमें अधिक दुर्घटना वाले 83 गांवों में सड़क सुरक्षा को लेकर चौपाल आयोजित कराई गई है। इससे दुर्घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने बताया कि ओवर लोडेड वाहनों पर इस साल 4 लाख 81 हजार प्रकरण प्रदेश भर में दर्ज किये गये। मुख्य सड़कों की सुरक्षा आडिट कराई गई और 53 सड़कों में सुधार कार्य किया गया। जंक्शन सुधार के 1797 कार्य किये गये। यातायात नियमों के उल्लंघन के 3 लाख 59 हजार प्रकरणों पर कार्रवाई की गई। सड़क सुरक्षा के लिए रंबल स्ट्रिप, ब्लिंकर्स आदि भी बनाये गये।

रोड सेफ्टी अब सीएसआर में भी शामिल
अध्यक्ष सप्रे ने बताया कि रोड सेफ्टी अब सीएसआर में भी शामिल है। कोयंबटूर का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि यहां पर होंडा सिटी कंपनी ने सीएसआर से मोटर व्हीकल एक्ट की जागरूकता को लेकर पार्क बनाया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से सोशल मीडिया में वीडियो आदि के माध्यम से व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा सकता है।

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