छत्तीसगढ़

सीएम भूपेश बघेल के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने दी मंजूरी, अब मिड डे मिल में मिलेगा मिलेट्स…

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चल रहे छत्तीसगढ़  मिलेट कॉर्निवाल के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। इस कॉर्निवाल में शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मध्यान्ह भोजन योजना में मिलेट्स को शामिल करने के प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। अब प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 12 जिलों में सोया चिक्की के स्थान पर सप्ताह में चार दिन स्कूली बच्चों को मिलेट्स से निर्मित खाद्य पदार्थ वितरित किए जाएंगे।  

उल्लेखनीय है कि राज्य में मिलेट्स के उत्पादन के लिए किसानों को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है. कोदो, कुटकी-रागी जैसे मिलेट का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा रहा है. इसके अलावा मिलेट मिशन के अंतर्गत राज्य के मिलेट्स उत्पादक किसानों को 9 हजार रूपए की इनपुट सब्सिडी प्रदान की जा रही है. वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है.

गौरतलब है कि पूर्व में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की वार्षिक कार्ययोजना में केन्द्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के 7 जिलों में बच्चों को पूरक पोषण आहार के अंतर्गत 55 दिनों के लिए सोया चिक्की प्रदान करने के लिए केन्द्रांश के रूप में 1787.20 लाख रूपए और राज्यांश के रूप में 1198.14 लाख रूपए इस प्रकार कुल 2995.34 लाख रूपए की मंजूरी दी गई थी.

छत्तीसगढ़ में पहली बार समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी आदि की खरीदी की गई. लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट मिशन भी चलाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वन उपज संग्रहित होता है. सरकार ने संग्राहकों के हित में लघु वन उपजों की संख्या में नौ गुना वृद्धि करते हुए सात से बढ़ाकर 65 की खरीदी करने का निर्णय लिया है. यही कारण है कि इन चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी चार गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है.

छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा वन उपज संग्राहक राज्य
वर्ष 2018-19 में वन उपज संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी, जो आज बढ़कर छह लाख हो गई है. लघु वन उपजों की खरीदी की मात्रा में भी 78 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वन उपजों की खरीदी की गई. जबकि यह मात्रा वर्ष 2018-19 में 540 मीट्रिक टन थी. छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वन उपज संग्राहक राज्य है. इस वर्ष राज्य सरकार ने 120 करोड़ रुपए का भुगतान वन उपज संग्राहकों को किया है.

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