विदेश

चीन सख्त निगरानी के घेरे में, अमेरिका को है इस बात का संदेह

वाशिंगटन
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चीन की चाल को मात देने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। शीर्ष अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें चीन पर शक है कि वह अमेरिका में रह रहे चीनियों से अधिक फोन काल करा व ईमेल एकत्र कर गोपनीय सूचनाएं जुटा रहा है। इससे नागरिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है, जो कि अमेरिका के लिए चिंताजनक है।

अमेरिकी सरकार के भेदभाव का एक लंबा इतिहास
दरअसल, परमाणु हथियारों, भू-राजनीति और कोरोना महामारी की उत्पत्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर चीन के निर्णय को बेहतर ढंग से समझने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर लगातार दबाव है। इसके लिए बीजिंग के खिलाफ सख्त निगरानी के लिए अमेरिका में दोनों दलों का समर्थन है। दूसरी ओर, नागरिक अधिकार समूह और अधिवक्ता चीनी मूल के लोगों पर बढ़ी हुई निगरानी के प्रभाव से चिंतित हैं।

अमेरिकी सरकार के भेदभाव का एक लंबा इतिहास
राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों के समूहों के खिलाफ अमेरिकी सरकार के भेदभाव का एक लंबा इतिहास रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी अमेरिकियों को नजरबंदी शिविरों में मजबूर किया गया था, 1960 के नागरिक अधिकारों के आंदोलन के दौरान अश्वेत नेताओं की जासूसी की गई थी। वहीं, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय की एक नई रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं।

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