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वायरालॉजिस्ट ने चेताया: एंडेमिक बनने से जीवन सामान्य नहीं होगा, और भी खतरनाक वैरिएंट आएंगे

लंदन
कोरोना महामारी या कोविड-19 को लेकर दुनियाभर के नीति निर्माताओं को ऑक्सफोर्ड वायरोलॉजिस्ट एरिस काटजोराकिस ने चेताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें निराशा होती है, जब नीति निर्माता कोरोना पेंडेमिक को लेकर आगे कुछ नहीं करने की मंशा जताते हुए 'एंडेमिक' शब्द का इस्तेमाल करते हैं।

कोरोना वायरस की विकास यात्रा का जिक्र करते हुए प्रो. काटजोराकिस ने चेतावनी दी है कि भविष्य में इसके और भी खतरनाक रूप सामने आ सकते हैं। यह चेतावनी उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित एक लेख में दी है।  प्रो. काटजोराकिस का कहना है कि यह कहना गलत होगा कि  कोविड-19 जल्द ही महामारी से स्थानीय बीमारी बनकर रह जाएगी और इसका इलाज करना मुश्किल नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा कि पेंडेमिक की जगह एंडेमिक शब्द का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। इसका यह मतलब नहीं है कि कोरोना वायरस का स्वाभाविक रूप से खात्मा हो जाएगा। एरिस काटजोराकिस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वायरल विकास और जीनोमिक्स के प्रोफेसर हैं।

प्रो. काटजोराकिस ने अपने लेख में समझाया है कि महामारी विज्ञान के संदर्भ में एंडेमिक का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि एक बीमारी जब एक स्थानिक अवस्था 'एंडेमिक' में पहुंच जाती है, तब वह उससे संक्रमित करने वाले लोगों की संख्या को सीमित कर देती है। आमतौर पर होने वाली सर्दी एंडेमिक है। इसी तरह मलेरिया, पोलियो व चेचक भी थे, लेकिन टीका आने के बाद ये एंडेमिक बन गए।

कोई बीमारी महामारी और स्थानीय दोनों हो सकती है। जैसे मलेरिया के कारण 2020 में छह लाख लोगों की जान चली गई। इसी साल टीबी से भी 15 लाख लोगों की मौत हुई। एंडेमिक होने का यह मतलब नहीं है कि टीके के विकास से कोई महामारी या रोग काबू में हो गया है और जीवन सामान्य हो गया है। इसके घातक वैरिएंट भविष्य में भी आते रह सकते हैं।

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