जनजातीय कार्य विभाग और अनुसूचित जाति विकास विभाग में भर्राशाही, समयमान वेतन देने में दिक्कत
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भोपाल
जनजातीय कार्य विभाग में कार्यपालिक पदों पर पदस्थ अफसरों की सीआर नहीं भेजी जा रही है। ये अफसर बीस साल से अधिक समय से सीआर नहीं भेज रहे हैं और जनजातीय कार्य विभाग रिमाइंडर भेजकर गोपनीय प्रतिवेदन मांग रहा है। विभाग में इस भर्रेशाही के चलते अब एक बार फिर 76 अफसरों की सूची जारी कर गोपनीय प्रतिवेदन भेजने के लिए कहा गया है। खास बात यह है कि जिन अधिकारियों की सीआर मांगी गई है उनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है और करीब आधा दर्जन सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा सभी संभागीय उपायुक्त जनजातीय और अनुसूचित जाति विकास, सभी सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग और सभी जिला संयोजक जनजातीय कार्य विभाग और अनुसूचित जाति विकास को अफसरों के गोपनीय प्रतिवेदन भेजने को लेकर पत्र लिखे गए हैं। इसमें कहा गया है कि 20 मार्च 2020, तीस जनवरी 2021और 18 मार्च 2021 व एक जुलाई 2021 को इन विभागों में पदस्थ शासकीय सेवकों के गोपनीय प्रतिवेदन भेजने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद भी प्रतिवेदन नहीं भेजे जा सके हैं। इस कारण प्रमोशन तो अटके ही हैं, इन अफसरों को समय मान वेतनमान के निराकरण के लिए परिभ्रमण में रखने में भी दिक्कत आ रही है। आयुक्त ने सभी अफसरों से कार्यपालिक पदों पर काम करने वाले अफसरों के सीआर जल्द भिजवाने के निर्देश दिए हैं।
जिन अधिकारियों के गोपनीय प्रतिवेदन नहीं आए हैं उनमें सहायक आयुक्त, जिला संयोजक के पदों पर काबिज सहायक सांख्यिकी अधिकारी, मंडल संयोजक, प्रशिक्षक, क्षेत्र संयोजक, विकास खंड अधिकारी, उपयंत्री स्तर के अधिकारी शामिल हैं। स्थिति यह है कि कुछ अधिकारियों के गोपनीय प्रतिवेदन 1994 से पूरे सेवाकाल तक नहीं मिल सके हैं। ऐसे में उन्हें समयमान वेतनमान देने में परेशानी हो रही है।
जिन अधिकारियों की सीआर सबसे अधिक समय से नहीं दी गई है, उनमें चंदन सिंह मालवीय मंडल संयोजक का नाम सबसे आगे है। जिला संयोजक अनुसूचित जाति विकास दमोह के पद पर पदस्थ मालवीय की सीआर 1994 से 2019 तक नहीं दी गई है। इसी तरह रिटायर हो चुके मंडल संयोजक वीरेंद्र कुमार नामदेव की 2000 से 2014 तक की अवधि की सीआर नहीं दी गई है। रामसिया राठौर सहायक सांख्यिकी अधिकारी के पद से रिटायर हुए हैं, और 2009, 2011, 2013, 2014 की इनकी सीआर विभाग के पास नहीं है। जिला संयोजक अनुसूचित जाति विकास कार्यालय में मंडल संयोजक रहे संजीव श्रवण की मृत्यु हो चुकी है और 2010 से 2012 तक की इनकी सीआर विभाग को अपेक्षित है। रिटायर विकास खंड अधिकारी एससी बामनिया की वर्ष 2002 से 2015 तक की गोपनीय चरित्रावली नहीं दी गई है। इसके साथ ही ऐसे कई अफसर हैं जिनका गोपनीय प्रतिवेदन सरकार को 2003 के बाद से नहीं मिल सका है।