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भगवान श्रीराम की तरह ही रामायण भी परिपूर्ण है : उद्धवदास जी महाराज

सीहोर के विश्वनाथ पुरी में संगीतमयी नौ दिवसीय श्री रामकथा का समापन, अखंड रामायण प्रारंभ

सीहोर। रामकथा नौ दिवस की होती है और भागवत कथा एक सप्ताह की। किन्तु न तो रामकथा नौ दिवस में पूरी की जा सकती है और न भागवत कथा। जैसे भगवान श्रीराम परिपूर्ण हैं इसी प्रकार रामायण का भी कोई पार नहीं है। रामकथा निरंतर कही जा सकती है। इसका कोई समापन नहीं है, क्योंकि इस कथा में इतना विस्तृत मर्म और अर्थ है कि इसका पार नहीं पाया जा सकता। इसलिए जैसे भगवान परिपूर्ण हैं वैसे ही रामकथा को भी परिपूर्ण मानकर समापन किया जाता है। रामकथा का तो जितना श्रवण और मनन किया जाए मानव को उतना ही सुख और परम शांति का अनुभव होता है, रामकथा उस कामधेनु के समान है, जिसके सहारे मनुष्य की लौकिक और पारलौकिक सारी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह बातें श्री रामकथा वाचक श्रीश्री 1008 महंत उद्धवदास जी त्यागी महाराज श्रीराम कुटी आश्रम सीहोर ने कही। वे नगर के सीवन स्काई सिटी के नजदीक विश्वनाथपुरी में स्थित प्रसिद्ध संकटमोचन हनुमान मंदिर में रामकथा का श्रवण करा रहे थे। उन्होंने कहा कि बिना हनुमानजी के रामायण अधूरी है, क्योंकि रामायण में चाहे सुग्रीव हो, विभीषण हो, लक्ष्मण हो, भरतजी हो, सीताजी हो या फिर भगवान श्रीराम ही क्यों न हो, सभी का हनुमानजी ने यथायोग्य कार्य बनाया, इसलिए भगवान ने रामायण में कहा है कि वे हनुमानजी के हमेशा ऋणी रहेंगे। जो अपने मान का हनन करे वो हैं हनुमान जी, हनुमान जी हमेशा सेवक बनकर और छोटे बनकर ही रहे भले ही रामायण के सारे अविश्वसनीय और दुर्गम काम श्री हनुमानजी ने किए किन्तु वे कभी अपनी प्रशंसा के अभिलाषी नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जब नारद जी ने भगवान से पूछा कि आपके प्रिय भक्तों की सूची में हनुमानजी का नाम क्यों नहीं है, तब भगवान ने कहा कि प्रिय भक्तों की सूची में उनका नाम है जो मेरा नाम जपा करते हैं और मेरी निजी डायरी में हनुमानजी और भरत केवल दो भक्तों के नाम है जिनका नाम मैं स्वयं जपा करता हूं। यह है हनुमानजी और भरतजी की महिमा। महाराजश्री ने कहा तुलसीदास जी जो रामचरित मानस जैसे महान ग्रंथ के रचियता हैं उन्हें भी हनुमानजी ने ही प्रभु श्रीराम के दर्शन कराए थे। पूरी रामकथा में हनुमानजी जप माला के उस सुमेरू की तरह है जो दोनों सिरों को जोड़कर रखता है उसी प्रकार हनुमानजी ने भी पूरी रामकथा में अपनी अदभुत और विशेष भक्ति से सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हमें भी सदा आत्म सराहना से और परनिंदा से बचकर रहना चाहिए। अपनी सुमधुर वाणी में महाराज जी ने कई भजन सुनाए जिन्हें सुनकर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
कथा के समापन अवसर पर श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर समिति ने महाराजश्री एवं उनकी संगीतज्ञ टीम का सम्मान किया। इस अवसर पर उन बच्चों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने सुंदर ड्राइंग बनाकर महाराजश्री को भेंट की थी। समापन अवसर पर समिति के महिला मंडल ने भी महाराजश्री का स्वागत-सम्मान किया। समापन के पश्चात मंदिर में अखण्ड रामायण का पाठ प्रारंभ हो गया।
हनुमान जन्मोत्सव पर विशाल भंडारा –
हनुमान जन्मोत्सव पर श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर समिति द्वारा मंगलवार 23 अप्रैल को शाम 7 बजे से प्रतिवर्षानुसार विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है। हनुमान जन्मोत्सव पर अखंड रामायण पाठ पूर्ण होने पर हवन, कन्या भोज के साथ ही सायंकाल विशाल भंडारा होगा। समिति द्वारा भंडारे की तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है। समिति के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में भण्डारे में आकर प्रसादी ग्रहण करने की अपील की है। अपील करने वालों में कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष अमित नीखरा, मंदिर समिति के अध्यक्ष अनारसिंह चौहान, संरक्षक कमलसिंह ठाकुर, मंदिर पुजारी पं. निर्मल शर्मा, पं. ओमप्रकाश शर्मा, मुकेश भावसार, गोपालदास अग्रवाल, राहुल वर्मा, कथा आयोजन समिति के उपाध्यक्ष पंकज ठाकुर, संतोष परमार, सुमित गिरोेंदिया, सचिव मोहब्बत सिंह तोमर, कोषाध्यक्ष किशन राठौर, इंद्रजीतसिंह मामाजी, एमएस चौहान, आनंद अग्रवाल, शुभम मालवीय, मुकेश प्रजापति, चंद्रप्रताप ठाकुर, कृष्णा मेवाड़ा आदि अनेक समिति सदस्यों ने सभी धर्मप्रेमी जनों से अधिक से अधिक संख्या अखंड रामायण पाठ एवं विशाल भण्डारे में शामिल होकर प्रसादी ग्रहण करने की अपील की है।

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