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गांव-गांव सक्रिय धान के दलाल, किसानों कोे खरीदी का इंतजार

सरकार ने धान खरीदी के लिए घोषित किया है 2040 रूपए समर्थन मूल्य

सीहोर। सीहोर जिले सहित प्रदेशभर में धान खरीदी का किसानों को इंतजार है, लेकिन उससे पहले ही धान के दलाल गांव-गांव में सक्रिय हैं। ये धान के दलाल गांव-गांव घूमकर किसानों से औने-पौने दाम पर धान की खरीदी करके उसे इकट्ठा कर रहे हैं और फिर जमकर लाभ कमाएंगे। ये धान के दलाल 1200-1300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से धान खरीदकर समर्थन मूल्य 2040 पर बेेच देंगे। इस खेल में दलालों के साथ गोदाम प्रबंधक, सहकारी समितियों के कर्ता-धर्ता सहित ऐसे किसान भी शामिल हैं, जिनके खातोें पर यह धान समर्थन मूल्य पर बेची जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार जिलों में अधिकारी-कर्मचारियोें कोे समझाईश दे रहे हैैं, उन्हें चेतावनी भी दे रहे हैं कि गड़बड़ी बर्दास्त नहीं होगी, लेकिन इसके बाद भी मैदानी अमला कार्य अपनेे मनमाफिक ही कर रहा है। मुख्यमंत्री ने धान खरीदी में लापरवाही को लेकर पहले ही कहा है कि वास्तविक किसानों की धान ही खरीदी जाए, लेकिन इस समय सीहोर जिले केे ग्रामीण क्षेत्रों में कई दलाल धान खरीदने के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं। वे किसानोें सेे बेहद सस्ती दर पर धान खरीद लेते हैं औैर फिर उसे समर्थन मूल्य पर बेचकर उस पर अच्छा-खासा मुनाफा भी कमाएंगे। यहां बता दें कि सीहोर जिले में सबसेे ज्यादा धान की बोवनी बुदनी विधानसभा केे अंतर्गत आने वाली बुधनी, रेहटी एवं नसरूल्लागंज तहसील में होती है। गड़बड़ी भी सबसेे ज्यादा यहीं पर की जाती है।
व्यापारियोें से भी होती है लंबी सांठ-गाठ-
धान खरीदी में हर वर्ष लाखोें-करोड़ों का खेल होता है। यह बंदरबांट गोदाम प्रबंधक, गोदाम मालिक, सहकारी समितियोें के जिम्मेदार एवं व्यापारियोें की मिलीभगत से होता है। व्यापारियोें द्वारा भी मंडी मेें सस्ती दर पर धान खरीद ली जाती है औैर फिर इसी धान को समर्थन मूल्य पर बेचकर लंबा मुनाफा कमाया जाता है। यह धान खरीदी का खेल हर वर्ष होता है। इससे बचने के लिए सरकार ने किसानों एवं उनकी फसलोें का वेरीफिकेशन कराने की व्यवस्था भी की है, लेकिन यह सिर्फ खानापूर्ति के लिए किया जाता हैै। असली काम तोे सबकी मिलीभगत सेे होेता है।
बुदनी, रेहटी में होती है सबसे ज्यादा गड़बड़ी-
धान की पैदावार सबसेे ज्यादा बुदनी एवं रेहटी तहसील में होती है। यहां पर बड़ी संख्या में किसानोें द्वारा धान की बोवनी की जाती हैै। सबसेे ज्यादा गड़बड़ियां भी यहीं पर होती हैं। दरअसल यहां के कई लोग गांव-गांव घूमकर किसानों से सस्ती दर पर धान खरीदकर जमा करते हैं औैर फिर सहकारी समितियों एवं गोेदाम प्रबंधक, मालिकों के साथ मिलीभगत करके यह धान गोदामोें में रखवा देते हैैं औैर किसानोें के खातों में इसकी बिलिंग हो जाती है। किसानों के खातों में पैसा आ जाता है। ये धान के दलाल किसानोें कोे कुछ हिस्सा देकर उनसे पैसा वापस ले लेते हैं। धान की खरीदी में हर साल लाखों-करोेड़ों का खेल होता है।
किसान कर रहे हैं खरीदी का इंतजार-
सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 2040 रूपए घोषित किया है। इसके अलावा अच्छी किस्मों की धान मंडियोें में 4000 रूपए प्रति क्विंटल तक भी बिक रही है। समर्थन मूल्य पर धान बेेचने वाले किसानोें को इंतजार है कि सरकार जल्द से जल्द तुलाई कार्य शुरू कराएं। किसानों की धान की कटाई हुए 15 से 20 दिन हो गए हैं। उनकी फसलें बाहर पड़ी हुई है औैर उन्हें बेसब्री से इंतजार है कि सरकार उनकी धान की खरीदी शुरू करे, ताकि वे धान बेचकर आगे की व्यवस्थाएं बनाएं।

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