धर्म

स्वर्ग लोक में किस अप्सरा ने क्यों दिया था अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप, कैसे ये अभिशाप बना वरदान ?

उज्जैन. महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। महाभारत (Mahabharat Facts) के प्रमुख पात्र अर्जुन को कुछ समय के लिए किन्नर के रूप में रहना पड़ा था, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन अर्जुन किन्नर कैसे बने, उन्हें किसने किन्नर बनने का श्राप दिया था और इसका कारण क्या था? इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है। (Interesting things related to Arjun) दरअसल ये श्राप अर्जुन के (Urvashi's curse to Arjuna) लिए वरदान से कम नहीं था। आज हम आपको अर्जुन से जुड़ी इस दिलचस्प प्रसंग के बारे में आपको बता रहे हैं, जो इस प्रकार है.

अर्जुन क्यों गए थे स्वर्ग लोक?
जुएं में कौरवों से हारकर पांडवों को 12 साल वनवास और 1 साल के अज्ञातवास पर जाना पड़ा। इस दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि वनवास के बाद तुम्हें कौरवों से युद्ध करना पड़ सकता है, इसलिए तुम्हें दिव्यास्त्रों के लिए शिवजी की तपस्या करनी चाहिए। अर्जुन ने ऐसा ही किया और शिवजी की कृपा से वे दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए स्वर्ग लोक में आ गए।

यहां अर्जुन ने पाई नृत्य की शिक्षा
स्वर्ग में आकर अर्जुन ने कई दिव्यास्त्र प्राप्त किए और जब उन्होंने देवराज इंद्र से पुन: धरती पर आने के लिए कहा तो इंद्र ने उन्हें नृत्य-संगीत की शिक्षा लेने के लिए कहा। इंद्र ने अर्जुन को समझाया कि नृत्य और संगीत का ज्ञान भी किसी दिव्यास्त्र से कम नहीं है। इसलिए तुम्हें ये भी सीखना चाहिए। देवराज ने कहने पर अर्जुन ने गंधर्वदेव से नृत्य और संगीत की शिक्षा लेनी आरंभ की।

अर्जुन पर मोहित हो गई उर्वशी
अर्जुन के सुंदर और मनमोहक रूप पर स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी मोहित हो गई। एक दिन मौका पाकर उर्वशी ने अर्जुन के सामने प्रेम का प्रस्ताव रखा, लेकिन अर्जुन ने उन्हें माता के समान बताया। अर्जुन के मुख से ऐसी बात सुनकर उर्वशी ने कहा कि 'तुम नपुंसक की तरह बातें कर रहे हैं, इसलिए तुम शेष जीवन किन्नर के रूप में बीताओगे।'

अर्जुन ने उर्वशी को क्यों कहा था माता?
अर्जुन ने उर्वशी को माता के समान इसलिए कहा था क्योंकि उनके पूर्वज पुरुरवा और उर्वशी कुछ शर्तों के साथ पति-पत्नी बनकर रहे थे। दोनों के कई पुत्र हुए। आयु भी इनमें से एक थे। आयु के पुत्र नहुष हुए, नहुष के ययाति। ययाति के यदु, तुर्वसु, द्रुहु, अनु और पुरु हुए। यदु से यादव और पुरु से पौरव हुए। पुरु के वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए और कुरु से ही कौरव हुए। इसलिए अर्जुन ने उर्वशी को अपनी माता कहा था।

कैसे अर्जुन के लिए वरदान बना ये श्राप?
महाभारत के अनुसार, उर्वशी द्वारा अर्जुन को श्राप देने की बात जब देवराज इंद्र को पता चली तो वे बहुत नाराज हुए। देवराज इंद्र के कहने पर ही उर्वशी ने अपने श्राप की अवधि घटाकर सिर्फ एक साल कर दी थी। जब अर्जुन धरती पर आए तो यही श्राप उनके लिए वरदान साबित हुआ। क्योंकि किन्नर के रूप में ही अर्जुन ने विराट नगर में रहते हुए अपना अज्ञातवास पूरा किया था।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Poiščite gumb: preizkus IQ v 11 Uganka za tiste z ostrim vidom: v 8 sekundah poiščite Kje se skriva napaka Preprost IQ test: V Preizkusite svoje znanje Genialni ugankar razkriva Najdite ponosnega galeba: IQ