महारथियों ने खेली पारी, पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों का यहां समझे गुणा-भाग

लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए शनिवार को पहले चरण में वोट डाले जाएंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होना है। इन सभी सीटों पर प्रचार थमने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि- कौन जीतेगा मैदान? पिछली बार विपक्ष का सफाया करने वाली भाजपा क्या 2017 का रिकार्ड दोहरा पाएगी या सपा-रालोद गठबंधन असरदार साबित होगा। कैराना पलायन से लेकर एक साल तक चले किसान आंदोलन के मुद्दों को लेकर सबकी निगाहें पश्चिमी यूपी के चुनाव पर हैं। इस बार तस्वीर भी बदली हुई है और मुद्दे भी। सभी दलों के महारथियों का इम्तिहान है। पश्चिमी यूपी की 58 हॉट सीटों के महासंग्राम का फैसला 10 फरवरी को होगा। सियासी बोलों से यहां का पारा चढ़ा हुआ है। सभी दलों के महारथियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जमकर मथा। दंगा, जिन्ना, गन्ने से शुरू हुआ प्रचार-युद्ध कानून व्यवस्था तक टिक गया। दिग्गज पूरी तैयारी से उतरे।
पश्चिमी यूपी की तमाम सीटों पर इस बार तगड़ा मुकाबला माना जा रहा है। ज्यादातर सीटो पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच मुकाबला माना जा रहा है, वहीं कुछ सीटों पर कांग्रेस और बसपा भी गणित बिगाड़ने में जुटी हैं। पर्दे के पीछे कुछ और भी कारक हैं जिनको लेकर कहीं भाजपा परेशान है तो कहीं गठबंधन। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हर सीट पर मुकाबला दिलचस्प है। क्योंकि, भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन की ओर से खूब हुंकार भरी गई। खूब तीखी बयानबाजी हुई। इस सबके बीच कभी ये पलड़ा, तो कभी वो पलड़ा भारी दिखा। वहीं, इन अन्य दलों के मतदाता खामोशी से सारी चालों पर नजर रखे हुए थे। ये खामोश मतदाता उलटफेर कर सकते हैं।
कैराना सीट पर कांटे की सीट
कैराना की सीट हमेशा से ही कांटे की रही। मुसलिम आबादी यहां काफी है। इसलिए, यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हावी रहता है। हार जीत का अंतर भी कम रहता है। वोट प्रतिशत में यही स्थिति है। कैराना जैसी सीट पर भाजपा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। वह यहां की सर्वाधिक जीत हासिल करने वाली पार्टी है। 1996 से 2012 तक उसका ही कब्जा रहा। भाजपा में आने के बाद हुकुम सिंह ने पलायन को मुद्दा बनाया। उस वक्त यहां के कारोबारियों ने आरोप लगाया कि उनसे रंगदारी मांगी जाती है। कुछ लोगों ने अपने मकानों पर 'मकान बिकाऊ' भी लिख दिए। हुकुम सिंह ने संसद में इस मुद्दे को उठाकर भाजपा को वेस्ट यूपी में फायदा पहुंचा दिया। पलायन को मुद्दा बनाने वाले बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को भाजपा ने फिर टिकट दिया है। सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी नाहिद हसन के जेल जाने के बाद उनकी बहन इकरा हसन ने भी पर्चा भरा है। 2017 की तरह ही कैराना भाजपा और सपा के बीच संग्राम के आसार हैं।