कलाकारों के पारम्पारिक वेशभूषाओं ने छत्तीसगढ़ी होने का दिलाया अहसास
राजिम
माघी पुन्नी मेला में मुख्यमंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति लोक सरगम छुईया के हिम्मत सिन्हा और कलाकारों ने मंच पर देश भक्ति गीत लहर लहर लहराबो ग तिरंगा…. इस गीत मे देश भक्ति के भाव भरे। लोक सरगम के सबसे चर्चित गीत छैैला बाबू आहि परदेशी बाबू आहि की शानदार प्रस्तुति दी, जिसे देख दर्शक भी झूमने लगे। इनके कलाकरों ने कार्टून पात्रों में मोटू-पतलू, और अन्य की अवाज निकालकर खूब मनोरंजन किया।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में अनिता बारले ने रानी रोवत हे महल म, राजा रोवत हे दरबार म… गीतों से राजा भरथरी की पावन गाथा की प्रस्तुति दी। मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति लोकरंग मंच के दीपक चंद्राकर अर्जुन्दा द्वारा प्रस्तुत की गई। इन्होंने गणपति वंदना जय हो जय गणपति महराज…. से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अगली कडी के रूप में लघु नाटिका मैं छश्रीसगढ़ मईया हुँ… इस नाटिका में राम ननिहाल, राम वन गमन, शबरी मिलन, श्रृगी ऋषि, वर्तमान के स्वामी विवेकानंद, गुरू घासीदास के बारे में बताया। लघु नाटिका के अंत मे छश्रीसगढ़ महतारी के द्वारा छश्रीसगढ़ के जनता को श्रमवीर बनने के लिए प्रोत्साहित करते है। लोक रंग के प्रसिद्ध गीत ऐ मोर करौन्दा…. ने भी दर्शकों को भी अपनी जगह पर झूमने के लिए मजबूर कर दिया। मन लागे कब होही मिलन… के साथ वनांचल में गाए जाने वाले परम्परागत गीत नाच गोरी तहुं ह… इस गीत की प्रस्तुति ऐसी थी कि पूरे बस्तर के दर्शन कराए। लोक रंग मंच की अंतिम प्रस्तुति के रूप मे विवाह संस्कार मे चुलमाटी से लेकर विदाई को गीतों के माध्यम से मंच पर दशार्या गया। अभी वर्तमान मे स्थान स्थान पर विवाह कार्यक्रम हो रहे है इस कारण दर्शक भी विवाह संस्कार के रंग मे डूबते हुए नजर आए। कलाकारों का सम्मान केन्द्रीय समिति के विशिष्ट सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।