भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाएगा साइप्रस जयशंकर की यात्रा के दौरान होंगे कई समझौतों पर हस्ताक्षर
निकोसिया । भूमध्य सागर में तुर्की की दादागिरी से परेशान साइप्रस भारत के साथ रक्षा समेत कई करार करके उसे कड़ा संदेश देने जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर गुरुवार को साइप्रस पहुंचे हैं जहां रक्षा के साथ आव्रजन को लेकर कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। साइप्रस तुर्की की दुखती रग है और भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर और भारत को लेकर जहर उगलने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन को करारा जवाब देंगे।
साइप्रस और तुर्की के बीच भूमध्यसागर की प्राकृतिक संपदा और क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। माना जा रहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के दौरान तुर्की के साथ विवाद पर बातचीत हो सकती है। जयशंकर और साइप्रस के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग पर खासतौर पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में भी समझौता होने के आसार हैं।
भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 21 करोड़ 40 लाख डॉलर है। इसे आव्रजन समझौता करके और बढ़ाने की तैयारी है। साइप्रस के विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की इस यात्रा को बहुत महत्वपूर्ण यात्रा करार दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय ढांचे में भारत की भागीदारी पर विचार किया जाएगा। साइप्रस के विदेश मंत्री इओन्निस भारतीय विदेश मंत्री को तुर्की की नीतियों के बारे में बताएंगे। इसमें खासतौर पर उन नीतियों के बारे में बताया जाएगा जो साइप्रस के लिए संकट बन रही हैं। साइप्रस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है।
साइप्रस और तुर्की के बीच विवाद की शुरुआत 1974 में उस समय हुई थी जब तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला करते हुए अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था। इसके बाद साइप्रस में सैन्य विद्रोह हुआ था और ग्रीस का समर्थन हासिल था। इसी से तुर्की बौखलाया हुआ था। तुर्की और ग्रीस के बीच समुद्र क्षेत्र को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है। उत्तरी साइप्रस पर कब्जा करने के बाद तुर्की की सरकार ने उसे टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दर्न साइप्रस का नाम दे दिया था। इससे पहले सितंबर 2019 में प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति से मुलाकात भी की थी। तुर्की पाकिस्तान को हथियार और घातक ड्रोन दे रहा है और भारत ने अब उसकी दुखती रग पर वार किया है।