विदेश

चुनाव आयोग ने 90 दिन में चुनाव कराने से किया इंकार , इमरान खान के मंसूबों पर फिरेगा पानी

इस्लामाबाद

 

 पाकिस्तान का सियासी ड्रामा बढ़ता ही जा रहा है. इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है. अब यहां 90 दिन में चुनाव कराए जाने की बात कही जा रही है. हालांकि, पाकिस्तान के चुनाव आयोग का कहना है कि तीन महीने में नए सिरे से आम चुनाव कराना संभव नहीं है.

पाकिस्तान में अगर सब कुछ सही से चलता तो अगस्त 2023 में यहां आम चुनाव होते, लेकिन राजनीतिक संकट की वजह से सदन डेढ़ साल पहले ही भंग हो गई है. इमरान खान विपक्ष पर तंज कसते हुए कह रहे हैं कि हमने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा और वो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.

हालांकि, इमरान के दोबारा चुनाव कराने के मंसूबों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. चुनाव आयोग का कहना है कि इतने कम समय में चुनाव कराए जाना मुश्किल है. इसमें न सिर्फ संवैधानिक चुनौतियां हैं, बल्कि और भी कई दिक्कते हैं. पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' ने चुनाव आयोग से जुड़े एक सीनियर अधिकारी के हवाले से बताया है कि दोबारा चुनाव कराने के लिए कम से कम 6 महीने का वक्त लगेगा.

90 दिन में चुनाव कराने में क्या-क्या दिक्कतें?

1. परिसीमनः डॉन को चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि नए सिरे से निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना है. खासतौर से खैबर-पख्तूनख्वा में, जहां सीटों के संख्या बढ़ाई गई है. यहां इलेक्टोरल रोल तैयार करना बड़ी चुनौती है. अधिकारी के मुताबिक, परिसीमन एक लंबी प्रक्रिया है. एक महीना तो सिर्फ आपत्तियों के लिए चाहिए और उसके बाद एक महीना उन आपत्तियों को ठीक करना. उन्होंने बताया कि तीन महीने तो परिसीमन में ही लग जाएंगे.

2. चुनाव की तैयारीः अधिकारी ने बताया कि चुनाव सामग्री की खरीद, बैलट पेपर की व्यवस्था और चुनाव कर्मियों की नियुक्ति और ट्रेनिंग भी बड़ी चुनौती है. कानूनन वॉटर मार्क वाले बैलट पेपर का इस्तेमाल ही हो सकता है. इन बैलट पेपर को बाहर से इम्पोर्ट किया जाता है. उन्होंने बताया कि बिडिंग में भी समय लगेगा. करीब 1 लाख पोलिंग स्टेशन के लिए 20 लाख स्टांप पैड की जरूरत होगी. इसके अलावा कैंची और बॉल पॉइंट भी खरीदना होगा.

 

संवैधानिक चुनौतियां क्या-क्या?

– कानूनी अड़चनों के बारे में अधिकारी ने 'डॉन' को बताया कि इलेक्शन एक्ट की धारा 14 के तहत चुनाव आयोग को 4 महीने पहले चुनाव तारीखों का ऐलान करना जरूरी है.

– इसके अलावा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वाह में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है. संविधान में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है. केयरटेकर पीएम को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.

तीन महीने में चुनाव कराएं तो?

अगर तीन महीने में चुनाव कराए जाते हैं तो इलेक्शन एक्ट की धारा 39 के प्रावधान के अनुसार चुनाव तारीख से एक महीने पहले इलेक्टोरल रोल को फ्रीज करना होगा. आयोग के मुताबिक, ऐसा होता है तो कई सारे वोटर्स इस लिस्ट में शामिल नहीं हो पाएंगे.

इसके अलावा करीब 1 लाख चुनाव कर्मियों की नियुक्ति करनी होगी और उन्हें ट्रेनिंग देना होगा. 2018 के आम चुनाव के बाद 1.5 करोड़ नए वोटर्स जुड़े हैं, लिहाजा इस बार 10 हजार पोलिंग स्टेशन और बढ़ाने होंगे.Live TV

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Jak efektivně odstranit kmen ze zahrady: tipy pro Nejlepší způsob, jak snížit krevní tlak: vědci identifikovali Jak efektivně čistit sprchový kout: tipy a triky Ženský vliv: Jaký je skutečný význam ženy Jak se zbavit kondenzace na splachovadle toalety za Čistota a připálené jídlo se jednoduše "rozpustí": jeden výrobek Nakládaná rajčata "Vintage": Nelze odlišit od rajčat ze sudu. Lžíce a Kouř z lesních požárů: Budete překvapeni: Jednoduché tipy, jak se zbavit pupínků na zádech