विदेश

अफगानिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को विस्तार देने की योजना, भारत का विरोध 

बीजिंग। संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दों पर भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान और चीन ने अफगानिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का विस्तार करने की योजना पर आगे बढ़ने का फैसला किया है। बता दें कि सीपीईसी चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्राचीन व्यापार मार्गों को फिर से सक्रिय करना है।
भारत ने लगातार 60 अरब अमरीकी डालर की परियोजना का विरोध किया है। यह परियोजन बलूचिस्तान में पाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह को चीन के पश्चिमी शिनजियांग से जोड़ता है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बीजिंग की आधिकारिक यात्रा के दौरान चीन ने पाकिस्तान को देश की स्थायी आर्थिक और रणनीतिक परियोजनाओं के लिए अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अनुसार, बीजिंग में पीपुल्स ग्रेट हॉल में शहबाज शरीफ के साथ बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रीमियर ली केकियांग ने ये प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की विदेशी वित्तीय संपत्तियों को मुक्त करने सहित अफगानिस्तान को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता को रेखांकित किया। दोनों पक्ष अफगान लोगों के लिए अपनी मानवीय और आर्थिक सहायता जारी रखने और अफगानिस्तान में विकास सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।" दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में सीपीईसी के विस्तार को लेकर बात की है।
जुलाई में  सीपीईसी के विस्तार की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारत ने किसी तीसरे देश में सीपीईसी परियोजनाओं के विस्तार पर कड़ी आपत्ति जताकर इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के बारे में चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय (एमईए) के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हमने तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देशों की प्रस्तावित भागीदारी को प्रोत्साहित करने की रिपोर्ट देखी है। किसी भी पार्टी द्वारा इस तरह की कोई भी कार्रवाई सीधे भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है।

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