बिज़नेस

भारत की खुदरा महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद-CRISIL

नई दिल्ली
 वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत की खुदरा महंगाई दर पिछले वर्ष के 5.5 फीसद की तुलना में 6.8 प्रतिशत औसत रहने की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि घरेलू खाद्य उत्पादन पर इस साल की हीटवेव का प्रभाव, उच्च अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों और विभिन्न क्षेत्रों के लिए इनपुट लागत के कारण महंगाई दर में व्यापक आधार पर वृद्धि होगी।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद कमोडिटी की कीमतों में तेज वृद्धि चिंता का एक प्रमुख कारण है। यूरोपीय संघ ने मई में घोषणा की थी कि वह 2022 के अंत तक 90 प्रतिशत रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाएगा। रेटिंग एजेंसी को कच्चे तेल के औसतन 105 से 110 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहने की उम्मीद है, जो कि पिछले वित्त वर्ष 22 में 80 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में तेज वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, यह कुछ नकारात्मक जोखिमों के साथ भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख नकारात्मक जोखिम कच्चे तेल की उच्च कीमतें हैं, जो भारत पर डोमिनो इफेक्ट का कारण बनेंगी। इसके अलावा, भारत के निर्यात की धीमी वैश्विक मांग और उच्च मुद्रास्फीति भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में कहा गया कि महंगाई क्रय शक्ति को कम करती है और खपत पर असर डालती है। देश का चालू खाता घाटा (सीएडी) चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.2 प्रतिशत से अधिक है। इसमें कहा गया है कि वस्तुओं की ऊंची कीमतें, धीमी वैश्विक वृद्धि और आपूर्ति शृंखला में रुकावट भारत के चालू खाते की शेष राशि के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।

रेटिंग एजेंसी ने आगे कहा कि रुपये के कमजोर होने के साथ रुपये और डॉलर के बीच इक्सचेंज रेट अस्थिर रहेगी। अमेरिकी डॉलर के मूल्य में मजबूती के साथ-साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का निरंतर आउटफ्लो भी रुपये को कमजोर करने का कारण बन सकता है। मार्च 2023 तक रुपये की इक्सचेंज रेट 78 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है, जबकि मार्च 2022 में यह 76.2 थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button